By 121 News
Chandigarh August 18, 2022:- पुणे स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटरोलॉजी (आईआईटीएम) के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया एक नया अध्ययन पंजाब में रिन्यूएबल एनर्जी (अक्षय ऊर्जा) के लिए कई नए तथ्यों को उभारकर सामने लाया है। स्टडी के अनुसार कई अन्य क्षेत्रों और हमारे रोजमर्रा के जीवन के पहलुओं के साथ ही जलवायु परिवर्तन का असर अगले पांच दशकों में भारत की सौर और पवन ऊर्जा क्षमता पर भी पडऩा तय है।
अपने 300 से अधिक दिनों के वार्षिक धूप और इनसोलेशन (सूर्याताप) के स्तर के कारण, जो 4 से 7 किलोवाट प्रति वर्ग मीटर के बीच है, को देखते हुए पंजाब में सौर ऊर्जा क्षमता का स्तर काफी अधिक है। 2 अगस्त, 2022 को राज्य सभा में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) द्वारा प्रस्तुत नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में अप्रैल 2018 से जून 2022 तक उत्तर भारत में तीसरी सबसे अधिक सौर ऊर्जा उत्पादन है। पंजाब ने पिछले वित्तीय वर्ष (अप्रैल 2021-मार्च 2022) में सौर ऊर्जा की 1,473.41 मिलियन यूनिट्स (एमयू)उत्पन्न किए। जबकि चंडीगढ़ ने 14.19 एमयू का उत्पादन किया है।
'एनालिसिस ऑफ फ्यूचर विंड एंड सोलर पोटेंशियल ओवर इंडिया यूजिंग क्लाइमेट मॉडल्स' शीर्षक वाला यह नवीनतम अध्ययन हाल ही में पीयर-रिव्यू जर्नल करंट साइंस में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन को टीएस आनंद, दीपा गोपालकृष्णन और पार्थसारथी मुखोपाध्याय, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत आईआईटीएम पुणे के शोधकर्ता और सेंटर फॉर प्रोटोटाइप क्लाइमेट मॉडलिंग, न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी, अबू धाबी, संयुक्त अरब अमीरात द्वारा लिखा गया है।
मुखोपाध्याय ने कहा कि ''हमारी इंडस्ट्री को बदलती जलवायु के अनुकूल होना चाहिए, और हमारी टेक्नोलॉजीज को गति बनाए रखनी चाहिए। ऐसी भविष्यवाणियों को तथ्यों के रूप में नहीं, बल्कि संभावनाओं के रूप में लिया जाना चाहिए। अक्षय ऊर्जा की दक्षता पंजाब और पड़ोसी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो सकती है। अध्ययन इस तरह के परिदृश्यों के लिए तैयार रहने और इसे संबोधित करने के महत्व पर जोर देता है।''
शोधकर्ताओं ने तत्काल भविष्य (अगले 40) के लिए भारतीय उपमहाद्वीप में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के लिए पवन और सौर अनुमानों का विश्लेषण करने के लिए, इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) द्वारा तैयार किए गए विभिन्न अत्याधुनिक जलवायु मॉडल का उपयोग करके वर्षों तक अध्ययन किया।
मुखोपाध्याय ने कहा कि मानसून मेंं इस बार अधिक बादल छाए रहने की उम्मीद है। रिन्यूएबल रूप से संचालित स्रोतों पर प्रभाव के संदर्भ में अनुमानों का हमारा अध्ययन पंजाब में चुनौतियों और अवसरों का उत्कृष्ट मामला प्रस्तुत करता है। इस क्षेत्र के लिए, भविष्य में मानसून और मानसून के बाद के मौसम में पर्याप्त कमी के साथ सौर क्षमता कम होने की उम्मीद है और इसलिए इसके आसपास बेहतर तैयारी करने की आवश्यकता महत्वपूर्ण हो जाती है।
पंजाब सरकार ने अपनी 21 प्रतिशत बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए 2030 तक 3 गीगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी का उपयोग करने के इरादे से 2019 में अपनी अक्षय ऊर्जा रणनीति का एक मसौदा तैयार किया। हालांकि, राज्य सरकार ने अभी तक इस नीति को अंतिम रूप नहीं दिया है। राज्य की पिछली रणनीति ने 2022 में 1000 मेगावाट या 1 गीगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता का लक्ष्य निर्धारित किया था। एमएनआरई के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब की स्थापित सौर क्षमता 2016 में 405 मेगावाट से बढक़र 2022 में 1117.99 मेगावाट हो गई। अनौपचारिक अनुमानों के अनुसार, पंजाब ने 2022 की शुरुआत में 1 गीगावाट की सीमा को पार कर लिया।
मुखोपाध्याय ने कहा कि ताजा अध्ययन के शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि हवा की संभावना के मामले में पंजाब और आसपास के क्षेत्रों में अधिकांश जलवायु मॉडल में सकारात्मक प्रवृत्ति दिखाई देती है। हवा के प्रोजेक्शन के लिए, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के साथ एक सकारात्मक रूझान देखा गया है। मानसून के दौरान तेज हवाओं के बढऩे की उम्मीद है, जबकि प्री-मानसून और पोस्ट-मानसून हवाएं अपने वेग में कमी करने वाली हैं।
भविष्य के लिए पूर्वानुमान महत्वपूर्ण हैं क्योंकि 3 अगस्त को भारत ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय संघर्ष के लिए राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) का एक नया सेट प्रकाशित किया था। संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के संशोधित एनडीसी के अनुसार, भारत ने 2030 तक अक्षय स्रोतों से अपनी ऊर्जा जरूरतों का 50 प्रतिशत तक पूरा करने के लिए एक मिशन तय किया है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले नवंबर में ग्लासगो में सीओपी 26 कॉन्फ्रेंस के दौरान अक्षय ऊर्जा क्षमता 500 गीगावॉट, सौर ऊर्जा प्लांट्स के विकास से नई 300 गीगावॉट एनर्जी आने के साथ देश की वृद्धि को बढ़ाने का वादा किया है।
संसद में इस स्टडी को लेकर बात उठी, केन्द्रीय मंत्री ने दिया जवाब
2 अगस्त, 2022 को, केन्द्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय से संसद (राज्य सभा) में आईआईटीएम पुणे द्वारा 'जलवायु मॉडल का उपयोग करते हुए भारत पर भविष्य की हवा और सौर क्षमता का विश्लेषण' शीर्षक से शोध अध्ययन के बारे में सवाल किया गया था, जो कहता है कि बदलती जलवायु पैटर्न देश में सौर ऊर्जा के उत्पादन को कम करने और साथ हील देश के कुछ क्षेत्रों में प्रमुख पवन ऊर्जा प्लांट्स को भी प्रभावित करने की संभावना है; और यदि हां, तो सौर फार्मों और पवन ऊर्जा संयंत्रों की दक्षता में सुधार के लिए क्या उपाय किए जा रहे थे?
केन्द्रीय एमएनआरई और बिजली मंत्री आरके सिंह ने कहा कि सरकार पवन और सौर ऊर्जा सुविधाओं की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए निम्नलिखित कदम उठा रही है:
- एमएनआरई विभिन्न क्षेत्रों में 'रिन्यूएबल एनर्जी रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट प्रोग्राम' यानि नवीकरणीय ऊर्जा अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम के तहत अनुसंधान और विकास को फंडिंग प्रदान कर रहा है, जिसमें सौर सेल दक्षता बढ़ाने, संसाधन मूल्यांकन, सटीक पूर्वानुमान तकनीक, पवन टरबाइन के लिए हब की ऊंचाई बढ़ाना और बड़े रोटर ब्लेड बनाना शामिल है।
- उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए 'नेशनल प्रोग्राम ऑन हाई एफीशेंसी सोलर पीवी मॉड्यूल्स' (उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल पर राष्ट्रीय कार्यक्रम) उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन कार्यक्रम को लागू करना।
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