Saturday, 2 July 2022

शहीद सैन्य कर्मियों और उनकी विधवाओं का आभार व्यक्त करती हुई केरल से चंडीगढ़ पहुंची महिला सोलो बाईकर अंबिका कृष्णन

By 121 News
Chandigarh July 02, 2022:- देश की रक्षा में सेवायें दे चुके शहीद डिफेंस कर्मियों को श्रृद्धांजलि और उनकी विधवाओं को प्रोत्साहित करने व मजबूती प्रदान करने की दिशा में स्वयं एक विधवा सोलो बाईकर अंबिका कृष्णा केरल स्थित कोच्चि से सफर तय करती हुई शनिवार को चंडीगढ़ पहुंची। चंडीगढ़ पहुंचने पर उनका स्वागत केरल समाजम के प्रतिनिधियों ने किया और उनके आगामी यात्रा के लिये शुभकामनायें व्यक्त की। इस अवसर पर अध्यक्ष अरविंदक्षन पिल्लई, उपाध्यक्ष हरिप्रसाद, सचिव जोबी रफेल, संयुक्त सचिव शेरिन रेजी, कोषाध्यक्ष श्रीकुमार नायर सहित शिबु जोनी, रज्जाक और किंग कैनेडी ने अंबिका का स्वागत किया।
 
अंबिका ने अपनी देश व्यापी यात्रा इसी वर्ष 11 अप्रैल में शुरू की थी और लगभग तीन महीनों में वह अब तक नौ हजार किलोमीटर की यात्रा पूरी कर चुकी है जिसमें दक्षिण भारत, उत्तर पूर्वी राज्य सहित मध्य भारत के प्रदेश शामिल है। उनका लक्ष्य अपना साहसिक मिशन 26 जुलाई तक पूरा कर अपने घर पहुंचना है। अंबिका स्वयं एक रेडियो जोकी है और प्रसार भारती के आकाशवाणी रेनबो एफएम चैनल में कार्यरत है। अपनी इस यात्रा में वे देश भर के 25 रेनबो आकाशवाणी स्टेशनों में जा कर अपनी जीवन और मोटरसाइकिल यात्रा के माध्यम से सैन्य कर्मियों की विधवाओं को रेडियो के माध्यम से मजबूती प्रदान कर रही है।
 
अंबिका मात्र 19 वर्ष की आयु में विधवा हो गई थी जब एयरफोर्स में कार्यरत उनके पति शिवराज स्वर्ग सिधार गये थे। उसे समय वर्ष 1997 में वह बीकॉम की छात्रा थी और तीन माह की बच्ची की मां भी। पढ़ाई और मां की जिम्मेवारी को उन्होनें पीछे छूटने नहीं दिया और साथ ही आकाशवाणी में एक कैज्युल आर्टिस्ट के रुप में नौकरी शुरु की। इसी बीच उन्होंने अपने मोटरसाईकल के पैशन को भी बरकरार रखा।
 
पत्रकारों से बात करते हुये अंबिका ने बताया कि इस यात्रा को शुरू करने का उद्देश्य शहीदों की विधवाओं में जोश पैदा करना था । उन्होंने बताया कि उनके जीवन में एक सिपाही और रेडियो का कनेक्शन है और इसी बात को लेकर शहीद सैन्य कर्मियों को श्रद्धांजलि और उनकी विधवाओं का आभार व्यक्त करने के लिये रेडियो को माध्यम चुना। अपने जीवन में आई चुनौतियों का वर्णन करते हुये उन्होंने कहा कि उनके विगत 25 वर्ष ही उन्हें मजबूती प्रदान करते हैं। 

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