डॉ.प्रीति जिंदल ने कहा कि पुस्तक 'एस्थेटिक एंड रीजेनरेटिव गायनोकोलॉजी' मेडिकल कम्युनिटी और उन लोगों के लिए जरूरी है जो यह जानने में काफी अधिक दिलचस्पी रखते हैं कि 'रीजेनरेटिव हेल्थ' क्या है और यह उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को कैसे उलट देता है। ये पुस्तक इस तथ्य का प्रमाण है कि रिवर्स एजिंग अब एक थ्योरेटिकल कॉन्सेप्ट नहीं है बल्कि धीरे-धीरे एक वास्तविकता बन रही है।
यह पुस्तक महिलाओं के स्वास्थ्य और विज्ञान के बारे में बात करती है जिसमें न केवल उम्र बढ़ने के बावजूद अपने आप को युवा बनाए रखने की शक्ति है, बल्कि अपने स्तर पर 'मृत्यु को मात' देने की भी शक्ति रखती है। पुस्तक महिलाओं में अनैच्छिक यूरिनरी लीकेज के बारे में भी बताती है और बताती है कि नॉन-सर्जिकल इंटरवेंशन के साथ दर्द रहित तरीके से इसका इलाज कैसे किया जा सकता है।
डॉ.जिंदल के अनुसार, जैसे-जैसे मनुष्य की उम्र बढ़ती है, वे महत्वपूर्ण कोलेजन और इलास्टिन सेल्स (कोशिकाओं) को खो देते हैं और त्वचा अपनी जगह छोड़ने लगती है यानि ढीली होने लगती है जिससे वे वृद्ध दिखती हैं। हालांकि, विज्ञान साबित कर रहा है कि कोई भी उम्र बढ़ने को उलट सकता है। अब अल्ट्रा साउंड और लेजर उपचार जैसे कई बॉडी स्टिमुलेशन आदि तौर-तरीके मौजूद हैं जो न केवल त्वचा की ऊपरी परत पर काम करते हैं बल्कि गहराई तक जाते हैं और तापमान और मसाज सेल्स को बढ़ाते हैं, जो बदले में रक्त की आपूर्ति में सुधार करते हैं। इन इंटरवेंशन के साथ कोलेजन और इलास्टिन का स्तर भी बढ़ जाता है।
डॉ. प्रीति जिंदल ने कहा कि ये सभी वैज्ञानिक तरीके हैं और नॉन-सर्जिकल भी। पुरानी कोशिकाओं को हटा दिया जाता है, बेकार और टॉक्सिक तत्वों को भी हटा दिया जाता है और अतिरिक्त फैट बर्नआउट हो जाती है और व्यक्ति युवा होने लगता है। यह बेसिक सिस्टम है जिसमें रिवर्स एजिंग थैरेपीज काम करती हैं।
इस पुस्तक को एकेडमिक पुस्तकों के एक प्रतिष्ठित इंटरनेशनल प्रकाशक 'स्प्रिंगर नेचर' द्वारा प्रकाशित किया गया है। पुस्तक में डॉ. प्रीति जिंदल द्वारा 4 अच्छी तरह से रिसर्च के बाद तैयार किए गए चैप्टर हैं। इसमें 12 इंटरनेशनल लेखकों द्वारा 373 पृष्ठों में फैले 33 चैप्टर भी शामिल हैं जो अपने अपने सेक्टर के स्पेशलिस्ट हैं। वे भारत, ब्रिटेन, इटली, चिली, अमेरिका और इज़राइल से हैं। डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा और डॉ.शशि जोशी पुस्तक के अन्य दो संपादक हैं।
डॉ. प्रीति जिंदल ने 'एंटी-एजिंग' पुस्तक की भूमिका को भी काफी महत्वपूर्ण अंदाज में लिखा है, जिससे इसका उद्देश्य स्पष्ट हो जाता हैँ। उन्होंने इसके अलावा 'जेनिटो-यूरिनरी प्रॉब्लम्स ऑफ मेनोपॉज' पर भी एक चैप्टर लिखा है। उन्होंने लेज़रों के नॉन-कॉस्मेटिक उपयोग पर भी एक चैप्टर लिखा है। जिंदल द्वारा लिखा गया ये एक बहुत ही दिलचस्प चैप्टर है कि कैसे अपने एस्थेटिक क्लिनिक और इस क्षेत्र का भविष्य निर्धारित किया जाए।
ये पुस्तक महिलाओं की ' ब्यूटी और जेनिटो-यूरिनरी हेल्थ' के बारे में बात करती है क्योंकि मैनोपॉज यान रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में इनसे संबंधित कई मुद्दे सामने आते हैं। इनमें से कुछ स्ट्रेस यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस (एसयूआई), जेनिटोयूरिनरी सिंड्रोम ऑफमेनोपॉज (जीएसएम), चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों पर त्वचा का झड़ना, यौन इच्छा में कमी और यौन रोग, योनि का ढीला होना आदि हैं। इन समस्याओं को रीजुवनेशन और रीजेनरेटिव ट्रीटमेंट इंटरवेन्शंस द्वारा समाधान प्रदान किया जाता है।
पीआरपी फेशियल में प्लेटलेट-रिच प्लाज्मा (पीआरपी) का उपयोग करके ट्रीटमेंट किया जाता है। वहीं वजाइनल पीआरपी जैसे अन्य इंटरवेन्शंस के साथ भी कई मेडिकल सॉल्यूशंस प्रदान किए जाते हैं। इसके बाद रीजेनरेटिव गायनेकोलॉजी के लिए सीओ2 लेजर, एम्सेला मशीन का भी उपयोग किया जाता है। कार्बोक्सी थेरेपी, त्वचा की लचकता को बेहतर करती है और फाइन लाइंस और झुर्रियों की मौजूदगी को कम करती है। एचआईएफयू वास्तव में एक उल्लेखनीय तकनीक है जो सर्जिकल फेस लिफ्ट के लिए एक नॉन-इनवेसिव विकल्प प्रदान करती है।
डॉ.प्रीति जिंदल ने अंत में कहा कि महिलाएं अब अपने निजी अंगों के स्वास्थ्य और लुक्स के बारे में पहले के मुकाबले काफी अधिक जागरूक हैं। वे इन्हें भी शरीर के किसी अन्य हिस्से की तरह मानती हैं। जब चेहरे की इतनी देखभाल की जाती है, तो अंतरंग भागों को भी बेहतर बनाने पर भी काम करने की आवश्यकता होती है, ताकि वे स्वच्छ और अच्छे दिखें। इसके साथ ही 'जेनिटल हेल्थ' का विचार भी काफी तेजी से प्रसार प्राप्त कर रहा है।
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