Friday, 28 January 2022

चण्डीगढ़ ब्रान्च के पूर्व संयोजक हुए ब्रहमलीन


By  121 News
Chandigarh Jan.28, 2022:-सृष्टि में सभी का कोई कोई उद्देश्य होता है और यदि उद्देश्य की पूर्ति हो जाए तो उस कार्य को सफल माना जाता है ठीक उसी प्रकार हमें जो अनमोल मानुष जन्म मिला है इसका भी केवल और केवल एक ही उद्देश्य है कि वर्तमान सत्गुरू की शरण में जाकर परमात्मा की जानकारी हासिल कर लेना और इसी उद्देश्य की पूर्ति परमआदरणीय मोहिन्द्र सिंह ने मानुष जन्म में करके केवल अपना लोक सुखी किया बल्कि परलोक भी सुहेला कर लिया था, ये उद्गार आज यहां श्रद्धांजलि समारोह में लुधियाना से एच.एस.चावला, मैम्बर इन्चार्ज ब्रान्च प्रशासन सन्त निरंकारी मण्डल ने ज़ूम के माध्यम से वर्चुअल रूप में व्यक्त किए  मोहिंदर सिंह के श्रद्धांजलि समारोह में सैकड़ों की संख्या में केवल उत्तरी भारत के कोने-कोने से बल्कि दूर-देशों के भी कई अनेकों महात्मा वर्चुअल रूप में जुड़े हुए थे ।
 मोहिन्द्र सिंह द्वारा अपनी  जीवन-यात्रा में सत्गुरू माता सुदीक्षा जी के सन्देश को जन-जन तक पहुंचाने में अन्तिम स्वास तक दिए गए पूर्ण सहयोग की भूरी-भूरी प्रशंसा की।

सन्त निरंकारी मण्डल की चण्डीगढ़ ब्रान्च के पूर्व संयोजक मोहिन्द्र सिंह रविवार दिनांक 23 जनवरी, 2022 को अपने नश्वर शरीर को त्याग कर ब्रहमलीन हो गए आज 28 जनवरी को उनके पार्थिव शरीर को अग्नि के सुपुर्द किया गया उनका जन्म वर्ष 1935 में हुआ और वर्ष 1971 में तत्कालीन सत्गुरू बाबा गुरबचन सिंह जी महाराज के युग में श्री अमरीक सिंह जी से ब्रहमज्ञान प्राप्ति की

                तभी से जन-कल्याण हेतु निरंकारी मिशन की सेवाओं में तन-मन-धन से पूर्ण सहयोग देने में जुट गए इनकी सेवाओं से प्रसन्न हो कर तत्कालीन सत्गुरू बाबा हरदेव सिंह जी महाराज द्वारा इन्हें वर्ष 1992 में चण्डीगढ़ में सेवादल संचालक की सेवाएं प्रदान की गई और 1995 में ज्ञान प्रचारक की जिम्मेवारी भी सौंप दी गई तदोपरान्त वर्ष 2009 में इन्हें चण्डीगढ़ ब्रान्च के संयोजक की सेवाएं सौंपी गई और वर्ष 2017 में अस्वस्थ रहने के कारण इन्होंने संयोजक की सेवाओं से त्याग-पत्र दे दिया था  मोहिन्द्र सिंह भारत सरकार के उत्पाद एवं सीमा शुल्क विभाग में सहायक आयुक्त के पद से सेवा-निवृत्त थे।

                मोहिंदर सिंह की धर्मपत्नी बलदेव कौर इनके साथ कन्धे से कन्धा मिला कर चलते रहे इनकी चार सुपुत्रियां दो सुपुत्र हैं जिनमें से तीन सुपुत्रियां इंग्लैंड कनाडा में रहते हैं और एक सुपुत्री बेटा यहां चण्डीगढ़ में निवास करते हैं परिवार के सभी सदस्य सत्गुरू की कृपा से अपना जीवन सुखमयी ढंग से व्ययतीत कर रहे हैं और सभी तन-मन-धन से मिशन की सेवा में जुटे हुए हैं

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