By 121 News
Chandigarh Jan.31, 2022:- सांझा सुनेहरा पंजाब मंच जिसकी स्थापना पिछले साल अगस्त में श्री के.सी. सिंह, आईएफएस (सेवानिवृत्त) ने की थी, ने आज यहां हयात रीजेंसी में एक लॉन्च प्रेस कॉन्फ्रेंस में पंजाब के नए राजनीतिक दल सुनेहरा पंजाब पार्टी की घोषणा की।
पूर्व राजदूत के.सी. सिंह (कृष्ण चंद्र सिंह), भारतीय विदेश सेवा (सेवानिवृत्त), संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ईरान में भारत सरकार के राजदूत रह चुके हैं। वह तब विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव (इंटरनेशनल आर्गेनाइजेेशंस) और कोऑर्डिनेटर काउंटर टेरिरज्म थे। अपने प्रशासनिक कैरियर के अंत में वे सचिव, आर्थिक संबंध के पद तक भी पहुंचे और एक सफल कैरियर के बाद सेवानिवृत हुए।
के.सी. सिंह, जो कि सुनेहरा पंजाब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, ने पार्टी के लॉन्च के मौके पर अपने संबोधन में कहा कि अगस्त, 2021 के अंत में सांझा सुनेहरा पंजाब मंच की स्थापना के लिए नागरिक, सैन्य, खेल और नागरिक समाज के जाने माने लोगों का एक छोटा लेकिन विविधता से भरा समूह एक साथ आया था। पांच महीने तक वैचारिक मंथन और आम लोगों के साथ संवादात्मक जनसभाओं को आयोजित करने के दौरान देखा गया कि आम धारणा यह थी कि बदलाव तब तक संभव नहीं था जब तक कि अच्छे पंजाबियों द्वारा राजनीतिक तौर पर जो रिक्त स्थान पैदा हो गए उनको भरने के लिए अपने कदम आगे ना बढ़ाए जाएं। उन्होंने बताया कि परिणामस्वरूप, अधिकांश मंच सदस्यों ने भारत के चुनाव आयोग के साथ एक राजनीतिक दल को पंजीकृत करवाने के निर्णय का समर्थन किया। चुनाव आयोग ने प्रस्तावित नाम सुनेहरा पंजाब पार्टी को मंजूरी दे दी है और अब हम पंजाब के राजनीतिक मैदान में उतरने जा रहे हैं।
के.सी. सिंह ने कहा, पंजाब के लोगों को सही चुनावी विकल्प बनाने में सक्षम बनाने के लिए परिवर्तन और विकास के लिए पार्टी का एजेंडा निम्नलिखित है:-
1. व्यापक भ्रष्टाचार पर काबू पाने के लिए पुलिस, सुधार और व्यवस्थागत परिवर्तनों सहित व्यापक प्रशासनिक व्यवस्था की आवश्यकता है। विशेष रूप से, पूरे नौकरशाही ढांचे और नियमों और विनियमों के चक्रव्यूह की समीक्षा के लिए एक आयोग की स्थापना की जानी चाहिए। पुलिस, आबकारी, राजस्व विभाग को लेकर विशेष रूप से पूरी तरह से मूलचूल सुधारों और बदलावों की जरूरत है।
2. पंजाब को एक राज्य के तौर पर उच्च विकास पथ पर वापस लाने के लिए तीन वर्गों यानी कृषि, विनिर्माण और सेवाओं पर अलग-अलग और केंद्रित ध्यान देने की आवश्यकता है। पंजाब के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में कृषि 27 प्रतिशत, विनिर्माण 24 प्रतिशत अैर सर्विसेज 49 प्रतिशत योगदान देते हैं। इनमें से अंतिम दो यानि विनिर्माण और सर्विसेज की हिस्सेदारी को काफी हद तक बढ़ाने की जरूरत है।
3. कृषि: 21वीं सदी के पंजाब के विकास के किसी भी मॉडल को पारिस्थितिक (ईकोलॉजिकल) रूप से सुरक्षित और टिकाऊ होना चाहिए। वर्तमान गेहूं-चावल फसल चक्र, रासायनिक खादों और कीटनाशकों पर अत्याधिक निर्भरता और पानी का जरूरत से अधिक उपयोग लंबी अवधि में उपयोगी नहीं है और इसके कई सारे दुष्प्रभाव पहले ही सामने आ चुके हैं। तिलहन और दाल, फल और सब्जियां आदि की बुवाई सहित फसल विविधीकरण बेहद जरूरी है और समय की मांग है। किसानों को हरित क्रांति के दौर में अनाज उगाने पर उनकी मौजूदा निर्भरता को दूर करने के लिए दूसरी हरित क्रांति की जरूरत है। इसके लिए एक मजबूत और 10-20 साल की लंबी अवधि की योजना की आवश्यकता होती है जो बाहरी वित्त पोषण के बिना सफल नहीं हो सकती है। नई फसलों के लिए एमएसपी को बढ़ाना होगा और भारत और विदेशों में राज्य की आपूर्ति श्रृंखलाओं (सप्लाई चेन्स) को मजबूत बनाकर और नए बाजारों में प्रवेश को सुनिश्चित करना होगा। ग्लोबल वार्मिंग फसल को पैदावार को प्रभावित करेगी जैसा कि होना शुरू हो चुका है। नई परिस्थितियों के लिए आनुवंशिक रूप से बीजों को संशोधित करने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों द्वारा अनुसंधान एवं विकास किए जाने की आवश्यकता है। पंजाब को इस संपूर्ण बदलाव के लिए मौजूदा कृषि योजना से 21वीं सदी के मॉडल में परिवर्तन के लिए बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वित्त पोषण की आवश्यकता होगी।
4. विनिर्माण: पंजाब कभी भी मैन्युफैक्चरिंग को प्रभावित करने वाले झटके से पूरी तरह से उबर नहीं पाया है। पहले 1980 के दशक में उग्रवाद से और फिर 1991 में सोवियत संघ के पतन से, जिसने लुधियाना के हौजरी, निटवियर और कपड़ा उद्योग को बुरी तरह से प्रभावित किया है। 21वीं सदी के औद्योगिक मॉडल को उच्च प्रौद्योगिकी, कृषि-सह-बागवानी यानि एग्रीकल्चर कम हॉर्टीकलचर और क्लीन इंडस्ट्री के कैलिफोर्नियाई मिश्रण के समान होना चाहिए। वायु और जल प्रदूषण और मिट्टी के क्षरण की जांच होनी चाहिए। भारत के उत्तर-पश्चिम कोने में एक लैंड-लॉक राज्य के रूप में, भारी उद्योग अनुपयुक्त है। टेस्ला जैसे ऑटोमोबाइल निर्माताओं को आमंत्रित करने की बात अतार्किक है क्योंकि कार निर्माता समुद्री किनारों पर आधार बनाना पसंद करेंगे। पंजाब मॉडल को एक्सीलेंस वाले उच्च संस्थानों के आसपास बनाया जाना है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के बिना कैलिफोर्निया में सिलिकॉन वैली नहीं होती। एसएएस नगर में 1970 के दशक में एक सेमी-कंडक्टर कॉम्प्लेक्स स्थापित किया गया था। लेकिन पंजाब इस क्षेत्र को चिप बनाने का हब बनाने में विफल रहा है, जिसकी आज वैश्विक स्तर पर व्यापक कमी है।
5. सेवाएं: सर्विस वर्ग में पंजाब महाराजा रणजीत सिंह काल के किले जैसे ऐतिहासिक इमारतों या यहां तक कि सम्राट अकबर के राज्याभिषेक जैसे महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक स्थानों की उपेक्षा के कारण पर्यटकों को आकर्षित करने में विफल रहा है। बेहतरीन राजमार्गों के बावजूद, परिवहन और होटल राजनेताओं के हाथों में राजनीतिक ताकत बन गए हैं। धार्मिक पर्यटन को बेहतर समन्वय की जरूरत है। पंजाब के किलों या हैरीटेज घरों वाले गांवों को पर्यटकों के स्वागत के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है।
6. शिक्षा: पंजाब में निवेश आकर्षित करने के लिए युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और अच्छे स्वास्थ्य की आवश्यकता है। अपग्रेड किए गए सरकारी स्कूलों को पाठ्यक्रम के पंजाब मॉडल, प्रशिक्षित शिक्षकों और अच्छी तरह से सुसज्जित स्कूलों की आवश्यकता है। नेट-आधारित पाठ्यक्रमों के माध्यम से रिमोट टीचिंग, काफी हद तक ग्रामीण या शहरी स्कूल में शिक्षण की गुणवत्ता में अंतर को कम कर सकती है।
7. स्वास्थ्य: चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर और एडवांस्ड बनाना एक तत्काल आवश्यकता है। सामान्य जिला अस्पताल में इलाज योग्य परिस्थितियों के साथ रेफरल अस्पतालों में जाने वाले मरीज ऊपरी स्तर पर गतिरोध पैदा करते हैं। हेल्थ सब-सेंटर्स को हेल्थ वेलनेस सेंटर्स के रूप में अपग्रेड करने की केंद्र सरकार की योजना के बावजूद और पंजाब सरकार का दावा है कि उसने ऐसे 2820 केंद्रों का संचालन किया है। इसके बावजूद भी पंजाब के गांवों के पास आज भी बुनियादी चिकित्सा देखभाल की उपलब्धता उपलब्ध नहीं है। इसके मूल में डॉक्टरों और चिकित्सा विशेषज्ञों की कमी की समस्या है। स्थानीय और विदेशों में जुटाए गए संसाधनों के साथ संपूर्ण स्वास्थ्य व्यवस्था को पूरी तरह से दुरुस्त कर दिया जाएगा।
के.सी. सिंह ने कहा कि श्री गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को ध्यान में रखते हुए, महिलाओं को पंजाब के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक विकास में पूरी तरह से भागीदार बनने के लिए सशक्त बनाना, सुनेहरा पंजाब पार्टी की प्राथमिकता है। हमारा लक्ष्य बुनियादी शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण संसाधनों, सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं, लैंगिक समानता और प्रोफेशनल डेवलपमेंट में समानता के माध्यम से महिलाओं को उनका हक दिलाना है।
अंत में के.सी.सिंह ने कहा कि चुनौतियां इतनी गंभीर हैं और पंजाब का पूरा ईकोसिस्टम इतना स्पष्ट है कि इसे वापिस 'स्वर्ण युग' के रास्ते पर वापस लाने के लिए ऐसे नेताओं की आवश्यकता होगी जिनके पास राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेषज्ञता हो, और प्रतिभाओं को आकर्षित करने और इसका उपयोग करने की क्षमता हो। पंजाब को बचाया जा सकता है। लेकिन केवल तभी जब एक व्यापक दृष्टि निर्धारित की जाए और उसके लिए एक सक्षम मार्ग प्रशस्त किया जाए।
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