By 121 News
Chandigarh Dec. 10, 2021:- जैसे-जैसे नगर निकाय चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे वैसे डंससाइट की हालात बेहतर करने की मांग बढ़ रही है, शहरनिवासी माताओं का समूह तख्तियों के साथ डड्डू डंससाइट में खड़ा हो गया और इसे साफ करने और इस जगह को फिर से साफ-सुथरा बनाने की मांग की गई, ऐसा नहीं होने पर उन्होंने अपना अभियान और तेज करने की बात कही
चंडीगढ़, 10 दिसंबर, 2021: डड्डू माजरा में साफ-सफाई को लेकर चिंतित माताओं के एक समूह वॉरियर मॉम्स ने शुक्रवार को डड्डू माजरा डंपसाइट पर शांतिपूर्ण सार्वजनिक प्रदर्शन किया। उन्होंने चंडीगढ़ नगर निगम के खुले डंपसाइट को साफ करने में विफल रहने की लिए जिम्मेदवार लोगों की आलोचना की।
डड्डू माजरा कॉलोनी सहित शहर के विभिन्न हिस्सों से एकत्र हुई माताओं ने दावा किया कि कई आश्वासनों के बावजूद, डंपिंग साइट पर हालात बद से बदतर ही हुए हैं। उन्होंने तर्क दिया कि उनके पास शांतिपूर्वक इकट्ठा होने के अलावा कोई विकल्प नहीं था क्योंकि वे अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं और वे अपनी आवाज सभी को सुनाना चाहते हैं, खासकर आगामी नगर निगम चुनावों के मौके पर वे इस मामले को सबके सामने लाना चाहते हैं।
इस पूरे मुद्दे को उठाने वाली वॉरियर मॉम्स फॉर चंडीगढ़ की सक्रिय सदस्य समिता कौर ने इस मौके पर कहा कि हमने पहले डड्डू माजरा के निवासियों से मुलाकात की और पाया कि 50,000 के करीब निवासी बेहद अमानवीय परिस्थितियों में रह रहे थे, बदबू असहनीय थी और वे त्वचा की एलर्जी, अस्थमा और अन्य सहित बीमारियों से बुरी तरह से पीड़ित हैं। डंपसाइट वायु प्रदूषण का एक भी प्रमुख स्रोत था। डंपसाइट को साफ करने के लिए किए गए वादे पूरे नहीं किए गए और लोग लगातार मुश्किलों का सामना करने के लिए छोड़ दिए गए हैं।
उन्होंने आगे कहा कि यह अफसोस की बात है कि जहां एक ओर चंडीगढ़ को एक सुनियोजित और स्वच्छ शहर होने पर गर्व है, वहीं इसके निवासी खुले में मौजूद ओपन-एयर डंपिंग साइट के दुष्परिणाम भुगत रहे हैं। समिता ने कहा कि ''कई माताओं के लिए यह एक झटके के रूप में आया क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि जब वे कर्तव्यपूर्वक अपने कचरे को अलग और रीसाइक्लि कर रही थीं, तब नागरिक निकाय डड्डू माजरा लैंडफिल में बिना किसी चिंता के लगातार टनों के हिसाब से हर रोज कचरे को डंप कर रहा था। यह न केवल यहां आसपास रहने वाले लोगों बल्कि पूरे चंडीगढ़ शहर के निवासियों के लिए स्वास्थ्य और पर्यावरणीय चिंता का कारण बन गया है।
वॉरियर मॉम्स ने निवासियों की दुर्दशा और बढ़ते प्रदूषण और इसके स्वास्थ्य प्रभावों को देखते हुए, नगर आयुक्त को पत्र लिखा और इस मामले में तुरंत कार्रवाई करने का अनुरोध किया। माताओं सहित नागरिकों का एक समूह उनसे मिलने गया, जहां उन्होंने मिलने आए लोगों को आश्वासन दिया गया था कि कूड़ेदान की सफाई के लिए तुरंत कदम उठाए जाएंगे।
डड्डू माजरा निवासी हरिंदर सिंह ने बताया कि नगर आयुक्त ने डंससाइट का निरीक्षण किया। लेकिन उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब जबकि नगर निगम के चुनाव भी नजदीक हैं, नागरिकों ने इस अभियान को तेज करने की ठान ली है और मांग की है कि डड्डू माजरा डंपसाइट की सफाई का काम तुरंत शुरू किया जाए. नागरिक निकाय इस मुद्दे को नजरअंदाज नहीं कर सकता क्योंकि हर किसी को स्वच्छ हवा में सांस लेने और सम्मानजनक जीवन का अधिकार है।
उन्होंने यह भी कहा कि आसपास के गांवों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि मिट्टी प्रदूषित हो रही है, भूजल दूषित हो रहा है, और इन गांवों को चंडीगढ़ नगर सीमा में शामिल करने के कारण पूरा ग्रामीण ढांचा बदल गया है। उन्होंने कहा कि शहर की पंचायतों के खत्म होने से डंपसाइट को हटाने के खिलाफ हमारी आवाज को पूरी तरह से कुचल दिया गया है। क्या प्रशासन हमें इंसान के तौर पर नहीं देखता, क्या हम इस देश के नागरिक नहीं हैं। हम तब तक लड़ना बंद नहीं करेंगे जब तक कि इस डंप साइट को साफ और इसको पूरी तरह से ठीक नहीं किया जाता है।'
स्थानीय निवासियों ने यह भी बताया कि, जिस बेहद खराब तरीके से डड्डू माजरा डंससाइट में नगर निगम ने कचरे के संकट को संभाला है, उन्हें आश्चर्य नहीं हुआ कि केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा 2021 के लिए स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग के अनुसार चंडीगढ़ की रैंकिंग राष्ट्रीय स्तर पर (स्कोर-वार) 66वीं थी और हाल ही में जारी 10 लाख से अधिक जनसंख्या श्रेणी में चंडीगढ़ 16वें स्थान पर रहा है।
शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन में शामिल चंडीगढ़ की ही एक मां नीति चीमा ने इस मामले पर अपनी बात रखते हुए कहा कि ''प्रगतिशील भारत दिलचस्प रूप से बदल गया है, बच्चों से उनके खेल का मैदान छीना गया है और इसे डड्डू माजरा में शहर के डंपसाइट में बदल रहा है। दुर्भाग्य से शहर में कचरा अलग नहीं किया जाता है, इसलिए खतरनाक कचरा, बायोडिग्रेडेबल और ई-कचरा सभी एक ही जगह पर डंप किया जा रहा है और ये लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। दशकों पहले, डड्डू माजरा डंपसाइट एक खेल का मैदान था जहां बच्चे खेलते थे लेकिन अब यह एक कचरा डंपसाइट है जिसके चारों ओर 20 फीट ऊंची दीवार है। रिपोर्टों के अनुसार, इस साल जनवरी से मई के बीच नगर निगम शहर से निकलने वाले कुल कचरे का केवल 16 प्रतिशत हिस्सा ही प्रोसेस करने में सक्षम है, इसलिए अधिकांश कचरे को बस ऐसे ही खुले में फैंका जा रहा है।''
उल्लेखनीय है कि एक आवासीय कॉलोनी लैंडफिल साइट से केवल 50 मीटर से कम की दूरी पर स्थित है और इसके लोग स्वास्थ्य जोखिमों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील थे।
माताओं ने यह भी आरोप लगाया कि लोगों को लैंडफिल के इतने करीब रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जो कचरे का सही निपटारा भी नहीं किया जा रहा है। यह एक स्पष्ट मामला है जिसमें मानवाधिकारों सहित कई मानदंडों का भी उल्लंघन किया जा रहा है। समिता कौर ने कहा कि न्यायपालिका द्वारा भी नागरिक निकाय की खिंचाई की गई है क्योंकि उच्च न्यायालय में एक मामला दायर किया गया है। महामारी, आग के मामले सामने आए हैं, किए गए अध्ययनों में हवा और ठोस के दूषित होने का पता चला है, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। नागरिक कब तक नागरिक निकाय के जागने का इंतजार करेंगे।
डड्डू माजरा लैंडफिल शहर का एकमात्र अधिसूचित डंपिंग यार्ड है और सेक्टर 38 में लगभग 45 एकड़ भूमि में फैला हुआ है।
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