By 121 News
Chandigarh Nov. 16, 2021:- शुद्धि आयुर्वेद ने पटियाला में प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र की शुरुआत की है, जो हिम्स (अस्पताल एवं एकीकृत चिकित्सा विज्ञान संस्थान) से संबद्ध है और जहां मधुमेह, उच्च रक्तचाप, श्वसन, यकृत, गुर्दे से संबंधित समस्याओं और गठिया या जोड़ों का दर्द जैसी विभिन्न बीमारियों को ठीक करने के लिए दवाओं का उपयोग करने के बजाय जीवनशैली में बदलाव किया जाता है। इस हिम्स नेचर क्योर क्लीनिक में मरीजों को गेहूं, चावल की जगह बाजरा, कंगनी, सांवा और कुटकी जैसे मोटे अनाजों से बना खाना दिया जाता है।
प्राकृतिक चिकित्सा के संबंध में आज यहां एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए, शुद्धि आयुर्वेद के संस्थापक गुरु मनीष कहते हैं, प्राकृतिक चिकित्सा के तहत हम रोगियों के लिए हर्बल दवा के रूप में अमरूद, पीपल और गिलोय के पत्तों से तैयार काढ़े का उपयोग करते हैं। इसके अलावा योग और ध्यान के साथ-साथ सकारात्मक सोच को भी बढ़ावा दिया जाता है। इस तरह 90 फीसदी मरीज ठीक हो जाते हैं। शेष 10 प्रतिशत रोगियों को आगे के इलाज के लिए आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा या पंचकर्म जैसे उपचारों की आवश्यकता हो सकती है। प्रेस वार्ता में उनके साथ प्रसिद्ध लेखक और मधुमेह व पोस्चुरल मेडिसिन विशेषज्ञ, डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी के अलावा, डॉ. अमर सिंह आजाद, एमबीबीएस, एमडी-कम्युनिटी मेडिसिन तथा डॉ. अवधेश पांडेय, एमबीबीएस, एमडी – रेडियोलॉजी भी उपस्थित रहे।
गुरु मनीष ने कहा कि न केवल स्वस्थ रहने के लिए बल्कि कई बीमारियों से बचने के लिए भी गेहूं और चावल की जगह कंगनी, हरि कंगनी, सांवा, कोडो और कुटकी जैसे मिलेट्स को आहार में शामिल किया जा सकता है। ये मूल अनाज हैं, इनके बाद आते हैं- बाजरा, रागी, चना, ज्वार और मक्का । मिलेट्स या मोटे अनाज शरीर को स्वस्थ और रोग मुक्त रखने में सक्षम हैं, क्योंकि ये कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, प्रोटीन और खनिज आदि से भरपूर होते हैं।
डॉ. अमर सिंह आजाद ने कहा कि हम जिस तरह का गेहूं खा रहे हैं, वह जेनेटिकली मॉडिफाइड है। इसके बजाय अगर हम अपने आहार में बारी-बारी से पौष्टिक मिलेट्स शामिल करें, तो मधुमेह की समस्या एक- दो सप्ताह में कम हो सकती है, और रक्तचाप भी दो से चार सप्ताह के भीतर नियंत्रण में आ सकता है। गंभीर कैंसर रोगियों को दो से चार महीने में लाभ मिलता है।
इस अवसर पर बोलते हुए, डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी ने कहा कि गुरुत्वाकर्षण बल से अनेक रोगों को ठीक करने में मदद मिलती है। पोस्टुरल मेडिसिन थेरेपी में हम इसी बल का प्रयोग करते हैं और बिना किसी दवा के रोगियों का उपचार करते हैं। शुद्धि आयुर्वेद के केंद्र में पोस्टुरल मेडिसिन की सुविधा भी मौजूद है।
गुरु मनीष ने आगे कहा पूरे भारत में हमारे 100 से अधिक शुद्धि आयुर्वेद केंद्र संचालित हो रहे हैं। इनमें किडनी और लीवर की विफलता, कैंसर और ऑटो-इम्यून बीमारियों के रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज होता है। चंडीगढ़ हिम्स (एचआईआईएमएस) भारत का पहला एनएबीएच आयुर्वेदिक पंचकर्म अस्पताल भी है।
एचआईआईएमएस देश का पहला अस्पताल है जो पोस्टुरल मेडिसिन के माध्यम से रोगियों को चिकित्सा उपचार प्रदान करता है। इन विविध चिकित्सा विज्ञानों की अच्छाई और उपचार क्षमता को एक छत के नीचे लाया गया है। इसके पीछे विचार यह रहा कि विभिन्न चिकित्सा प्रणालियों की सर्वोत्तम प्रथाओं का उपयोग करके मानव शरीर की किसी भी बीमारी का प्रभावी ढंग से इलाज संभव किया जाये, ताकि रोग जड़ से ठीक हो सकें।
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