By 121 News
Chandigarh June 04, 2021:-कोविड रोगियों में इंफ्लेमेटरी परिवर्तनों और कोविड प्रेरित एन्डोथीलीअम क्षति के कारण धमनियों और नसों में थ्रोम्बोसिस (क्लॉट द्वारा ब्लड वेसल की रुकावट) का खतरा होता है। वास्तव में यह केवल वायरस ही नहीं बल्कि हमारी अति तीव्र प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया भी है जो थ्रोम्बोटिक अवस्था का कारण बनती है। क्लॉट, हृदय, मस्तिष्क, फेफड़े और अन्य अंगों में हो सकता है।
यह जानकारी देते हुए आईवी अस्पताल, मोहाली में कार्डियोवास्कुलर साइंसेज के डायरेक्टर डॉ हरिंदर सिंह बेदी ने कहा कि 35 वर्षीय रवीश कुमार (बदला हुआ नाम) बहुत मुश्किल स्थिति में था। वह कोविड के तीव्र संक्रमण से पीड़ित था और उसे एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उपचार के दूसरे दिन रवीश को दाहिने पैर में डिस्कलरेशन के साथ गंभीर दर्द होने की समस्या हुई। उसकी टांग में ब्लड क्लॉटिंग के साथ गैंग्रीन का पता चला जो तेजी से फैल रहा था।
रवीश को डॉ बेदी के पास रेफर किया गया, जिन्होंने पहले एस्कॉर्ट्स हार्ट, दिल्ली और सेंट विंसेंट अस्पताल, सिडनी में काम करते हुए नॉन-कोविड मामलों में ऐसी बीमारी देखी थी और उनका इलाज भी किया था।
डॉ बेदी जो कि प्रतिष्ठित वेनस एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि यह मरीज के लिए दोहरा झटका था, जो न केवल कोविड से पीड़ित था, बल्कि उसके टांग में ब्लड क्लॉटिंग के साथ गैंग्रीन से भी पीड़ित था।
हालांकि आम तौर पर जोखिम के कारण कोविड में सर्जरी से बचा जाता है, लेकिन यह आपातकालीन एक परिस्थिति थी जहां तत्काल सर्जरी की आवश्यकता थी। मरीज को तत्काल सर्जरी के लिए ले जाया गया और सर्जरी द्वारा क्लॉट को हटा दिया गया। मरीज को विशेष कोविड आईसीयू में रखा गया था जो अस्पताल के नॉन-कोविड हिस्से से अलग है। इस नाजुक सर्जरी का डॉ विक्रम अरोड़ा और डॉ जितेन सिंह भी हिस्सा थे ।
प्रशिक्षित पेशेवर और एंटी-कोविड गियर के साथ आइवी अस्पताल कोविड रोगियों में इस तरह की खतरनाक जटिलताओं के इलाज के लिए पूरी तरह से सक्षम हैं।
डॉ बेदी ने कहा कि इस खतरनाक जटिलता के विकास के लिए कोविड के सभी मामलों की बहुत अच्छी तरह से जांच की जानी चाहिए और सक्रिय कोविड सकारात्मक मामलों में भी तुरंत निवारण और चिकित्सीय उपाय किए जाने चाहिए।
किसी भी स्पष्टीकरण के लिए डॉ बेदी से 9814060480 पर संपर्क किया जा सकता है।
रवीश को डॉ बेदी के पास रेफर किया गया, जिन्होंने पहले एस्कॉर्ट्स हार्ट, दिल्ली और सेंट विंसेंट अस्पताल, सिडनी में काम करते हुए नॉन-कोविड मामलों में ऐसी बीमारी देखी थी और उनका इलाज भी किया था।
डॉ बेदी जो कि प्रतिष्ठित वेनस एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि यह मरीज के लिए दोहरा झटका था, जो न केवल कोविड से पीड़ित था, बल्कि उसके टांग में ब्लड क्लॉटिंग के साथ गैंग्रीन से भी पीड़ित था।
हालांकि आम तौर पर जोखिम के कारण कोविड में सर्जरी से बचा जाता है, लेकिन यह आपातकालीन एक परिस्थिति थी जहां तत्काल सर्जरी की आवश्यकता थी। मरीज को तत्काल सर्जरी के लिए ले जाया गया और सर्जरी द्वारा क्लॉट को हटा दिया गया। मरीज को विशेष कोविड आईसीयू में रखा गया था जो अस्पताल के नॉन-कोविड हिस्से से अलग है। इस नाजुक सर्जरी का डॉ विक्रम अरोड़ा और डॉ जितेन सिंह भी हिस्सा थे ।
प्रशिक्षित पेशेवर और एंटी-कोविड गियर के साथ आइवी अस्पताल कोविड रोगियों में इस तरह की खतरनाक जटिलताओं के इलाज के लिए पूरी तरह से सक्षम हैं।
डॉ बेदी ने कहा कि इस खतरनाक जटिलता के विकास के लिए कोविड के सभी मामलों की बहुत अच्छी तरह से जांच की जानी चाहिए और सक्रिय कोविड सकारात्मक मामलों में भी तुरंत निवारण और चिकित्सीय उपाय किए जाने चाहिए।
किसी भी स्पष्टीकरण के लिए डॉ बेदी से 9814060480 पर संपर्क किया जा सकता है।
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