Friday, 13 November 2020

दीवाली शुभमहूर्त 14 नवंबर 2020 को रात्रि 08 बजकर 08 मिनट से 10 बजकर 51मिनट तक: ज्योतिषाचार्य रोहित कुमार

By 121 News
Chandigarh Nov. 13, 2020:-दीपावली धन की अधिष्ठात्रि लक्ष्मी  देवी का पर्व माना जाता है। हर वर्ष भारतवर्ष में दिवाली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है.धनतेरस से लेकर भाईदूज तक ये त्योहार 5 दिन तक चलता है। किन्तु इस बार ये त्योहार  पाँच दिन का न होकर चार दिन का ही होगा । अथवा इस बार धनतेरस ओर चतुर्दशी एक ही दिन मनाई जाएगी अथवा रूप चोदस का स्नान दीपावली के दिन होगा । यह जानकारी ज्योतिषाचार्य रोहित कुमार ने दी।
ज्योतिषाचार्य रोहित कुमार ने बताया कि प्रतिवर्ष दीपावली कार्तिक माह की अमावस्या को मनाई जाती है। रावण से दस दिन के युद्ध के बाद श्रीराम जी जब अयोध्या वापिस आते हैं तब उस दिन कार्तिक माह की अमावस्या थी, उस दिन घर-घर में दीपक जलाए गए थे। तब से इस त्योहार को दीवाली के रुप में मनाया जाने लगा और समय केसाथ और भी बहुत सी बातें इस त्यौहार के साथ जुड़ती चली गई। इसी दिन भगवान विष्णु ने राजबली को पाताल का राजा बनाया था इस बात को सुनकर भगवान ने इन्द्र ने स्वर्ग को सुरक्षित जाना अथवा दीपावली मनाई थी ,इसी दिन समुंदर मंथन के पश्चात माँ लक्ष्मी ओर भगवान धन्वन्तरी प्रकट हुए थे । माँ काली भी इसी दिन  प्रकट हुई थी , इसीलिए बंगाल मे दीपावली के समय माँ काली के  पूजन का प्रचलन है । इस दिन के ठीक एक दिन पहले श्री कृष्णा  ने नरकासुर नामक राक्षस के वद्ध किया था इस खुशी के मोके पर दूसरे दिन दीप जलाए गए थे । इसी दिन उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्या का राज्याभिषेक हुआ था । इसी दिन विक्रमादित्य द्वारा  विकर्मी संवत  की स्थापना के मुहूर्त के लिए  ज्योतिष ओर गणित के सभी दिग्गज विद्वानो को आमंत्रित किया था । "ब्रह्मपुराण" के अनुसार आधी रात तक रहने वाली अमावस्या तिथि ही महालक्ष्मी पूजन के लिए श्रेष्ठ होती है. यदि अमावस्या आधी रात तक नहीं होती है तब प्रदोष व्यापिनी तिथि लेनी चाहिए. लक्ष्मी पूजा व दीप दानादि के लिए प्रदोषकाल ही विशेष शुभ माने गए हैं। रोहित कुमार ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस वर्ष दीपावली कार्तिक अमावस्या 14 नवंबर शनिवार को दोपहर के बाद आप्रहा सायह्रा , प्रदोश निषिद्ध ,महानिषिद्ध, व्यापीनी होगी , अंत: दीपावली पर्व 14 नवंबर शनिवार को मनाया जाएगा । 
प्रदोषकाल :- 14 नवंबर 2020  को सूर्यास्त 17घ – 26मि से लेकर 2घ – 42मि पर्यन्त 20घ – 08मि तक प्रदोष काल व्याप्त रहेगा ।। साय: 19घ – 26मि तक वृष (स्थिर)लगन विशेष प्रशस्त होगा । प्रदोश काल मे वृष लगन, स्वाति, (रात्री 20घ – 09मि तक ) लाभ की चोघड़िया रहने से 19घ – 07मि से पहले ही पूजन का शुभ मुहूर्त है । 
 निशीथकाल :- 14 नवंबर 2020 को  रात्रि  20घ – 08मि से 22घ – 51मि तक रहेगा । निशीथकाल मे शुभ को चोघड़िया  ही 20घ – 48मि से लेकर 22घ – 30मि  तक रहेगी । प्रदोशकाल मे आरंभ किया हुआ पूजन रात्री 22घ – 30मि  तक समाप्त कर श्रीसुकत, कनकधारा स्त्रोत तथा लक्ष्मी स्त्रोत आदि मंत्रो का जापानुष्ठान करना चाहिय ।  
महानिशीथकाल :- रात्रि 22घ – 51मि से 25घ – 33मि तक महानिशीथकाल रहेगा । इस समयावधि मे अमृत तथा चर की चोघड़िया भी शुभ है साथ ही  साथ  'सिंह' लगन विशेष रूप से शुभ है ।

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