By 121 News
Chandigarh Oct.05, 2020:-यूटी पावरमैन यूनियन चण्डीगढ़ के आह्वान पर निजीकरण के खिलाफ संघर्षरत यूपी के बिजली कर्मचारियों के समर्थन में बिजली दफ्तर सैक्टर 19 में रैली की गई। रैली को इलैक्ट्रिीसिटी इम्पलाईज फेडरेशन ऑफ इंडिया के कार्यकारिणी सदस्य तथा यूनियन के महासचिव गोपाल दत्त जोशी , यूनियन के प्रधान ध्यान सिंह, संयुक्त सचिव अमरीक सिंह, रेशम सिंह, अनिल कुमार आदि यूनियन के पदाधिकारियों के इलावा फैड़रेषन आफ यूटी इम्पलाईज एण्ड वर्करज के वरिष्ठ उप प्रधान राजिन्द्र कटौच, सीटू के प्रधान कुलदीप सिंह आदि ने संबोधित करते हुए केन्द्र तथा राज्य सरकार की निजीकरण की नीति की तीखी निन्दा की तथा पूर्वांचल के बिजली वितरण का निजीकरण करने के लिए यूपी की योगी सरकार को आड़े हाथों लिया। वक्ताओं ने कहा कि उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों के 18 संगठनों के द्वारा संयुक्त संघर्ष समिति गठित करके बिजली का निजीकरण करके निजी कंपनियों को दिये जाने के विरोध में आंदोलन किया जा रहा है, जिसको लगभग एक महीना हो गया है । परंतु यूपी की सरकार संघर्ष समिति के नेताओं से बाततचीत करने की बजाए कर्मचारियों का उत्पीडन कर रही है तथा शांतिपूर्वक किये जा रहे आंदोलन का अलोकतांत्रिक तरीके से दमन कर रही है।
वक्ताओं ने कहा कि बिजली क्षेत्र एक अति महत्वपूर्ण क्षेत्र है उद्योगिक विकास से लेकर अन्न उत्पादन तक हर तरह के विकास के लिए बिजली अति आवश्यक है। शत प्रतिशत जनता से जुड़ी होने के कारण व्यापक जनहित में बिजली का उत्पादन वितरण आदि सभी सार्वजनिक क्षेत्र में रखना जरूरी है। निजी क्षेत्र किसी भी तरह से जनहित के कार्य नहीं करता तथा अपने मुनाफे के लिए काम करता है। बिजली क्षेत्र का निजीकरण देष की संप्रभुता के लिए भी हानिकारक है। इसलिए उत्तर प्रदेश बिजली कर्मचारियों के संगठन निजीकरण के विरोध में आंदोलन कर रहे है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजे गये विज्ञापन में यूटी पावरमैन यूनियन ने आंदोलनरत नेताओं व कर्मचारियों का उत्पीडन बंद करने तथा अब तक की गई उत्पीडन की सभी कार्यवाहियां वापिस लेने, बिजली क्षेत्र का निजीकरण व्यापक जनता व कर्मचारियों के हित में रद्द करने तथा संयुक्त संघर्ष समिति से बातचीत करके सभी मांगों एवं समस्याओं का समाधान करने की मांग की है।
रैली में विशेष प्रस्ताव पास कर चण्डीगढ़ के बिजली विभाग का निजीकरण करने के केन्द्र तथा चण्डीगढ़ प्रशासन के फैसले की भी कड़ी निन्दा की गई तथा कहा गया कि सस्ती तथा निर्विघ्न रूप से दी जा रही बिजली की आपूर्ति तथा केन्द्र सरकार के तय मानकों से कम लाईन लॉस होने के बावजूद विभाग मुनाफे में चल रहा है। प्रस्ताव में इस बात पर भी आपत्ति की गई कि एस.बी.डी. डाक्यूमैंट फाईनल होने तथा बिजली अमैंडमैंट बिल 2020 के पार्लियामैंट में पेश होने से पहले ही चण्डीगढ़ के बिजली विभाग के निजीकरण की पक्रिया करना गैर सवैंधानिक व लोक विरोधी फैसला है। इसलिए सरकार को चण्डीगढ़ के बिजली विभाग को निजीकरण करने का फैसला तुरंत रद्द करना चाहिए।
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