By 121 News
Chandigarh September 11, 2020:- गांधी स्मारक भवन सैक्टर 16 चंडीगढ़ में संत विनोबा भावे की 125वीं जयन्ती बड़े श्रद्धा पूर्वक मनाई गई। इस अवसर पर सर्व धर्म प्रार्थना, सामूहिक चर्खा कताई एवं श्रद्धांजली सभा का आयोजन किया गया। डॉ. देवराज त्यागी, निदेशक गांधी स्मारक भवन में श्रद्धांजली अर्पित करते हुए कहा कि भारत रत्न संत विनोबा भावे एक संत थे जिन्होंने अपने लिए कुछ भी नहीं रखा। यहां तक कि अपने सर्टिफिकेट भी फाड़ कर चूल्हे में जला दिये। अपने लिए कोई चाह नहीं, कोई आवश्यकता नहीं, कोई स्वार्थ नहीं, सब परमार्थ के लिए। आज के लोग अपने को गांधीवादी बता कर उनके विपरीत कार्य कर रहे हैं। गांधी जी के सत्याग्रह को लोग अपने निजी स्वार्थों के कारण उसका दुरूपयोग कर रहे हैं। ऐसे लोगों से हमें सावधान रहना चाहिए। ऐसे छद्म लोगों की कथनी व करनी में बड़ा अंतर होता है।
अरूण जौहर ने इस अवसर पर बताया कि विनोबा जी युवाओं को काम करने के लिए प्रेरित करते थे। विनोबा जी देश की आज़ादी के लिए पाँच बार जेल गये। जब धुलिया जेल में थे तो उन्होंने गीता पर प्रवचन दिये जो उनकी महत्वपूर्ण देन है।
डॉ. रमन शर्मा ने कहा कि संत विनोबा भावे ने जय जगत का नारा दिया था। आजादी के बाद उन्होंने देश के लिए भूदान आन्दोलन चलाया। पचास लाख एकड़ ज़मीन दान में प्राप्त करके गरीबों के दान में दी।
डॉ. एम. पी. डोगरा ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि हमारे समाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए गांधी एवं विनोबा जी के विचार अपने जीवन में उतारने चाहिए। विनोबा जी ने शिक्षा के तीन आधार माने हैं- योग, उद्योग और सहयोग एवं इसे चरितार्थ करने के लिए उन्होंने सत्य, प्रेम और करूणा का रास्ता दिखाया। सन् 1940 में गांधी जी ने व्यक्तिगत सत्याग्रह किया जिसके पहले सत्याग्रही विनोबा थे। विनोबा जी ने 14 वर्ष पद यात्रा तथा भूदान का काम किया। 11 सितम्बर को ही स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो में अपना प्रसिद्ध प्रवचन भी दिया था।
आर. डी. कैले एवं कंचन त्यागी ने मधुर भजनों से श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। समारोह में अमनदीप, डॉ. भूपेन्द्र शर्मा, डॉ. मिशेल, ऊषा शर्मा, पूनम, पापिया चक्रवर्ती, गुरप्रीत एवं आनन्द राव, रमा देवी, अमित, एम. के. विरमानी, डॉ. आर. के चन्ना, शोभा शर्मा आदि ने भाग लिया।
इस अवसर पर सोशल डिस्टेंसिंग के सभी नियमों का पालन किया गया।
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