Wednesday, 8 July 2020

घोटालों का अड्डा बना हरियाणा का स्वास्थ्य विभाग: आस फांउडेशन ने किया नर्सिंग कालेजों के फर्जीवाड़े का खुलासा

By 121 News
Chandigarh July 08, 2020:- हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। आस फांउडेशन के अध्यक्ष दीपक मेहरा तथा उपाध्यक्ष रानी कंबोज ने बुधवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में बताया कि 2009 में स्वास्थ्य विभाग से अलग निदेश्क, चिकित्सा शैक्षणिक और अनुसांधन गठित किया गयाा था जो सभी मेडिकल, होम्योपैथी, आयुर्वेद, डेंटल आदि के प्रशानिक कार्यो को देखने के लिये बनाया गया था। 4 सितंबर 2014 को इसे अलग विभाग बना दिया गया था। इस विभाग में स्वास्थ्य विभाग से कुछ मेडिकल अफसरों को डैपुटेशन  के आधार पर कुछ समय के लिये भेजा गया था। जहां प्रशासनिक कार्यो के लिये अलग निदेशालय बनाया गया, वहां मेडिकल अफसरों पर ही प्रशासनिक कार्यो की जिम्मेदारी दे गई जिन्हें इसका कोई अनुभव नहीं था।


फाउंडेशन की उपाध्यक्षा रानी कंबोज ने बताया कि 2010 में ही मेडिकल अफसरों द्वारा नर्सिंग कॉलेजों को फर्जी एनओसी देने को खेल शुरू हुआ। 2012 में पंडित धर्म चंद संस्था, राजौंद, कैथल को फर्जी एनओसी दी गई जिसका मुख्यमंत्री ने 2017 में कैंसिल कर कमेटी पर अनुशानिक कार्यवाही के आदेश दिए। ऐसे कई फर्जी एनओसी कि जांच विजिलैंस को सौंपीं। मुख्यमंत्री के अनुमोदन से इस भ्रष्टाचार में लिप्त आरोपित मेडिकल ऑफिसर  को चिकित्सा शैक्षाणिक एवं अनुसंधान निदेशालय में ट्रांसफर कर दिया गया। महानिदेशक को मेडिकल अधिकारी रुल 7 के तहत चार्जशीट करने की रिपोर्ट दी गई। रिपोर्ट तत्कालीन मुख्यमंत्री के अनुमोदन, मुख्य सचिव द्वारा बिना जंाच कर नियमों को ताक पर रख ट्रांसफर करने का मामला स्पष्ट होता है। मार्च 2016 में अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ ने कहा कि वह मेडिकल अफसर  डैपुटेशन  पर है। ऐसे में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर इसे प्रमोट नहीं किया जा सकता है।

2017 को स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में बैठक हुई जिसमें सभी गलत ट्रांसफर और डैपुटेशन  पर बैठे डाक्टरों पर पोलिसी बनाई गई जिसमें सभी पदों के मानक तय किये गए। आश्चर्य कि बात है कि कमेटी में स्वयं वह मेडिकल अधिकारी भी हिस्सा थी जिसके लिये स्वास्थ्य मंत्री ने चार्जशीट के आदेश दिये। जिसके बाद अतिरिक्त मुख्य सचिव ने सभी ट्रांसफर और डैपुटेशन  के आदेशों को वापिस ले लिये।
दीपक मेहरा ने बताया कि 2018 में कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज,  करनाल में आउटसोर्सिंग के तीन टेंडर निकाले गये जिनकी बोली लगी। दो टेंडर जिनमें मेनपावर सैक्योरिटी के टेंडर आवंटित कर दिये परन्तु सैनिटैशन हाउस व हाउस किपिंग का टेंडर निदेशालय ने रोक दिया जिसकी बोली  2.01रुपये   रेट पर प्रीमियर कंपनी को आवंटित होना था उसे तत्कालीन निदेशक, चिकित्सा शैक्षणिक एवं अनुसंधान विभााग. हरियाणा ने पिछली कंपनी राधा कृष्णा कोपरेटिव सोसाईटी को  9.5रुपये  रेट पर दे दिया। सरकार को सात गुणा रेट पर करोड़ो का नुकसान हुआ। 

दीपक मेहरा ने कहा कि आस फाउंडेशन इन सभी मुद्दों पर सीबीआई जांच करवाने की मांग करता है और मांग नहीं मानी गई तो हाई कोर्ट में याचिका दायर कर न्यायिक जांच करवाई जायेगी।

इस अवसर पर फाउंडेशन सदस्य जतीन, सतपाल, सागरदीप व अन्य भी शामिल हुये।

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