By 121 News
Mohali July 29, 2020: स्क्रीनिंग और जल्दी पता लगाना हेपेटाइटिस जैसे साइलेंट किलर से निपटने का एकमात्र तरीका है, चूंकि क्रोनिक वायरल हैपेटाइटिस में लिवर की क्षति तब तक लक्षणों के बिना आगे बढ़ती है जब तक कि यह लिवर कैंसर या लीवर सिरोसिस के रूप में टर्मिनल बीमारी के चरण तक नहीं पहुंच जाती। हालाँकि, हेपेटाइटिस ए और बी वायरस के लिए टीकाकरण उपलब्ध है।
विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर, डॉ.अरविंद साहनी, डायरेक्टर, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलॉजी, फोर्टिस अस्पताल, मोहाली ने एक एडवाइजरी में कहा कि हेपेटाइटिस बी और सी के प्रसार को रोकने के लिए सुरक्षित रक्त और रक्त प्रोडक्ट्स का ही उपयोग जरूरी है। हमें 100 प्रतिशत स्वैच्छिक रक्त दान और किसी भी कमर्शियल रक्त दाताओं को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। हेपेटाइटिस बी और सी के लिए प्रत्येक रक्त यूनिट का टेस्ट किया जाना चाहिए और हमें दोबारा उपयोग में ना लाई जा सकने वाली सीरिंजज का उपयोग करना चाहिए और सुरक्षित इंजेक्शन प्रेक्ट्सि का ही उपयोग करना चाहिए।
वायरल हेपेटाइटिस एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है जो भारत में महत्वपूर्ण स्वास्थ्य क्षेत्र पर एक बड़ा बोझ है। यह तेज से लिवर को फेल करता है, लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर का कारण बनता है। डॉक्टर साहनी ने कहा कि इन वायरसों में हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, हेपेटाइटिस डी और हेपेटाइटिस ई शामिल हैं। हेपेटाइटिस ए और ई दूषित पानी और भोजन द्वारा प्रेषित होते हैं, हेपेटाइटिस बी और सी रक्त जनित वायरस हैं जो दूषित रक्त, रक्त उत्पाद, दूषित सुई सीरिंज आदि के माध्यम से फैलते हैं।
हेपेटाइटिस ए और ई, लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर के रूप में स्थायी तौर पर लिवर क्षति का कारण नहीं बनते हैं, जो हेपेटाइटिस बी और सी के कारण हो सकता है। भारत में हेपेटाइटिस बी के लगभग 40 मिलियन और हेपेटाइटिस सी के 6-12 मिलियन मामले दर्ज किए गए हैं।
डॉ.साहनी ने कहा कि हेपेटाइटिस ए और ई के सटीक प्रसार का अनुमान लगाना मुश्किल है। हेपेटाइटिस ए के मामले की मृत्यु दर उम्र से संबंधित है और इसका औसत 0.3 प्रतिशत है, जबकि 50 वर्ष की आयु में मृत्यु दर लगभग 5 गुना अधिक है। हेपेटाइटिस ई के कारण गर्भावस्था में मृत्यु दर बहुत अधिक है जो 15-25 प्रतिशत तक है।
उन्होंने कहा कि स्वच्छता के बारे में सामान्य जागरूकता, पानी को उबलना, कटे और खुले खाद्य पदार्थों से परहेज, खुले में शौच को खत्म करना और आधुनिक तकनीकों के माध्यम से नगरपालिका के ठोस कचरे का प्रबंधन करने आदि के कई सारे उपायों से हेपेटाइटिस ए और ई के प्रसार को रोकने में मदद मिलती है।
सभी गर्भवती महिलाओं, सभी नवजात शिशुओं, सभी हेल्थकेयर वर्कर्स और डायलिसिस रोगियों, जेल के कैदियों, विभिन्न वयस्कों जैसे विभिन्न उच्च जोखिम वाली आबादी के लिए हेपेटाइटिस बी से सुरक्षा के लिए वैक्सीनेशन को किया जाना चाहिए। हेपेटाइटिस बी के टीके की तीन डोज की जरूरत होती है। डब्ल्यूएचओ हेपेटाइटिस बी के टीके के लिए कोई आयु छूट के साथ सभी के लिए व्यापक टीकाकरण की सिफ ारिश करता है। हेपेटाइटिस सी के खिलाफ कोई वैक्सीनेशन नहीं है। हेपेटाइटिस ए को हेपेटाइटिस ए की 2 डोज से रोका जा सकता है।
वायरल हेपेटाइटिस एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है जो भारत में महत्वपूर्ण स्वास्थ्य क्षेत्र पर एक बड़ा बोझ है। यह तेज से लिवर को फेल करता है, लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर का कारण बनता है। डॉक्टर साहनी ने कहा कि इन वायरसों में हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, हेपेटाइटिस डी और हेपेटाइटिस ई शामिल हैं। हेपेटाइटिस ए और ई दूषित पानी और भोजन द्वारा प्रेषित होते हैं, हेपेटाइटिस बी और सी रक्त जनित वायरस हैं जो दूषित रक्त, रक्त उत्पाद, दूषित सुई सीरिंज आदि के माध्यम से फैलते हैं।
हेपेटाइटिस ए और ई, लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर के रूप में स्थायी तौर पर लिवर क्षति का कारण नहीं बनते हैं, जो हेपेटाइटिस बी और सी के कारण हो सकता है। भारत में हेपेटाइटिस बी के लगभग 40 मिलियन और हेपेटाइटिस सी के 6-12 मिलियन मामले दर्ज किए गए हैं।
डॉ.साहनी ने कहा कि हेपेटाइटिस ए और ई के सटीक प्रसार का अनुमान लगाना मुश्किल है। हेपेटाइटिस ए के मामले की मृत्यु दर उम्र से संबंधित है और इसका औसत 0.3 प्रतिशत है, जबकि 50 वर्ष की आयु में मृत्यु दर लगभग 5 गुना अधिक है। हेपेटाइटिस ई के कारण गर्भावस्था में मृत्यु दर बहुत अधिक है जो 15-25 प्रतिशत तक है।
उन्होंने कहा कि स्वच्छता के बारे में सामान्य जागरूकता, पानी को उबलना, कटे और खुले खाद्य पदार्थों से परहेज, खुले में शौच को खत्म करना और आधुनिक तकनीकों के माध्यम से नगरपालिका के ठोस कचरे का प्रबंधन करने आदि के कई सारे उपायों से हेपेटाइटिस ए और ई के प्रसार को रोकने में मदद मिलती है।
सभी गर्भवती महिलाओं, सभी नवजात शिशुओं, सभी हेल्थकेयर वर्कर्स और डायलिसिस रोगियों, जेल के कैदियों, विभिन्न वयस्कों जैसे विभिन्न उच्च जोखिम वाली आबादी के लिए हेपेटाइटिस बी से सुरक्षा के लिए वैक्सीनेशन को किया जाना चाहिए। हेपेटाइटिस बी के टीके की तीन डोज की जरूरत होती है। डब्ल्यूएचओ हेपेटाइटिस बी के टीके के लिए कोई आयु छूट के साथ सभी के लिए व्यापक टीकाकरण की सिफ ारिश करता है। हेपेटाइटिस सी के खिलाफ कोई वैक्सीनेशन नहीं है। हेपेटाइटिस ए को हेपेटाइटिस ए की 2 डोज से रोका जा सकता है।
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