By 121 News
Chandigarh 08th June:- एशिया की सबसे बड़ी सेकेंड हैंड कार मार्केट पिछले 35 साल से हर संडे को चंडीगढ़ के सेक्टर-7 मार्केट में लग रही है। यहां पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, हिमाचलप्रदेश और कई अन्य राज्यों से लोग कारें खरीदने आते हैं। लोगों का अब इस कार मार्केट पर विश्वास बन चुका है, लेकिन इस कार मार्केट को इस मुकाम तक पहुंचाने वाले यहां के पुराने करीब 50 कार डीलर्स आज अपने ही कुछ साथी कार डीलरों की धोखाधड़ी का शिकार होकर बेरोजगार होकर रह गए हैं। उनके घरों की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि इनमें मंे कई तो सुसाइड तक करने की बात सोचने लगे हैं। इसका कारण जहां वे अपने ही कुछ साथी कार डीलर्स को बता रहे हैं, वहीं नगर निगम और चंडीगढ़ प्रशासन को भी वे उतना ही जिम्मेदार ठहराते हैं। इन कार डीलर्स की मांग है कि अगर चंडीगढ़ प्रशासन 2009 में फाइनेंस सेक्रेटरी संजय तिवारी की ओर से घोषित पाॅलिसी के अनुसार हल्लोमाजरा में उनके लिए पांच एकड़ में सभी सुविधाओं के साथ परमानेंट कार मार्केट बनाकर दे दे तो उनकी हालत सुधर सकती है। उनका आरोप है कि यह पाॅलिसी लागू करने में उनके ही कुछ साथी कार डीलर्स रोड़ा अटका रहे हैं, क्योंकि वे अपनी पाॅवर के दम पर सेक्टर-7 में ही आॅक्शन पाॅलिसी लागू करवा चुके हैं, जिसके तहत यहां कार मार्केट लगाने वाले कार डीलर्स के लिए शर्तें इतनी कड़ी कर दी गई हैं कि कमजोर कार डीलर तो यहां कार माकेट लगा ही नहीं सकता। इसके लिए साल का खर्च भी इतना ज्यादा कर दिया गया है कि कोई कमजोर कार डीलर दे ही न सके और यहां से भाग जाए। इतना खर्च न दे पाने से पिछले 35 साल से इस कार मार्केट में बैठे कार डीलर्स को यहां से जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
सेक्टर-7 में ही प्राइम कार्स के मालिक संजीव कालिया और अन्य पुराने कार डीलर्स ने सोमवार को चंडीगढ़ प्रेस क्लब में प्रेस काॅन्फ्रेंस कर बताया कि पहले वे सेक्टर-7 में फुटपाथ पर ही पुरानी कारें बेचने का काम करते थे। तक नगर निगम की कोई पर्ची नहीं कटती थी। उसके बाद हर कार डीलर की 200 रुपए प्रति संडे पर्ची कटने लगी। धीरे-धीरे यह पर्ची बढ़कर 550 रुपए तक पहुंच गई। इस दौरान उनके ही कुछ साथी कार डीलर्स के मन में बेईमानी आ गई। चूंकि वे नगर निगम में ही काउंसलर्स के तौर पर बड़ी ओहदों पर भी बैठे थे तो उन्होंने अपने रसूख के दम पर यह पर्ची 2800 रुपए प्रति संडे तय करवा दी। सेक्टर-7 की मार्केट में उनके चार बेशाॅप भी हैं। इस पर भी उन्हें तसल्ली नहीं हुई तो उन्होंने एमसी से इस कार बाजार से के लिए ऐसी पाॅलिसी तय करवा दी, जिससे सिर्फ वही और उनके कुछ साथी ही यहां काम कर सकें और सारा प्राॅफिट वही कमा सकें और बाकी पुराने कार डीलर्स यहां से काम छोड़कर भाग जाएं। इस पाॅलिसी के तहत सेक्टर-7 में दुकानों के सामने की खुली जगह की आॅक्शन कर दी गई। अपने कुछ लोगों को भेजकर उन्होंने रेट भी डेढ़ लाख से बढ़ाकर साढ़े सात लाख रुपए तक प्रतिवर्ष करवा दिया, ताकि छोटे और कमजोर कार डीलर्स यहां काम कर ही न पाएं और भाग जाएं। यहां 43 साइट्स की आॅक्शन हुई, जिनमें से 17 तो बिक ही नहीं सकीं। 10 लोग पैसे नहीं भर पाए। फिर भी पुराने कार डीलर्स को मिलाकर कुल 35 लोगों ने किसी तरह मिलजुलकर जगह ले ली, लेकिन उन पर कंडीशन लगा दी गई कि 5 परसेंट इंक्रीज कर पैसे भरे जाएं। यानी खर्च करीब 10 लाख कर दिया गया, जो कई लोग भर नहीं सके। ऐसे में 15 लोग और बाहर हो गए और 20 लोग बच गए। संजीव कालिया ने बताया कि इन 20 लोगों में से 10 तो उनके वही एमसी काउंसलर्स के साथी हैं। बाकी 10 डीलर्स नए आ गए हैं, जो उनसे धोखाधड़ी करने वाले उनके साथी कार डीलर्स के ही चहेते हैं। कालिया ने आरोप लगाया कि उनसे धोखाधड़ी करने वाले उनके साथी कार डीलर्स मल्टीनेशनल कार कंपनियों के संपर्क में हैं और उनके कहने पर सेेकेंड हैंड कारों की इस मार्केट को बर्बाद करने पर तुले हैं। हो सकता है इसके लिए उन्होंने उनसे कोई सौदा भी किया हो, क्योंकि जिन लोगों ने अब आॅक्शन के तहत माकेर्ट में महंगी जगह ली है, उनमें मल्टीनेशन कंपनीज के लोग भी हैं।
संजीव कालिया ने बताया कि चंडीगढ़ के पूर्व डिप्टी मेयर राजेश गुप्ता भी इसी मार्केट में कार डीलिंग का काम करते हैं। उन्होंने जानबूझकर 2009 की पाॅलिसी लागू नहीं होने दी। उन्होंने और उनके साथियों ने उस पाॅलिसी के कागजात भी दबा दिए। हालांकि उनके केस करने पर कोर्ट ने चंडीगढ़ एडमिनिस्टर को कार डीलर्स को हल्लोमाजरा में जगह देने के आदेश दिए थे, लेकिन उसके बाद उन्हें जो जगह दी गई, वह सिर्फ पार्किं के लिए दी गई। न मार्केट बनाकर दी गई, न बिजली-पानी की सुविधा है, न आॅफिस बनाकर दिए गए। यानी वे लोग वहां भी काम नहीं कर सकते। यह सब उनके साथी कार डीलर्स ने जानबूझकर करवाया है। उन्होंने मांग की कि है कि चंडीगढ़ प्रशासन 2009 की पाॅलिसी लागू करवाकर उन्हें हल्लोमाजरा में परमानेंट कार मार्केट बनवाकर दे, ताकि उन्हें राहत मिल सके। कालिया ने कहा कि दिवाली, दशहरे आदि त्योहारों पर एमसी सभी मार्केट्स में लोगों को स्टाॅल्स लगाने के लिए पर्ची काटती है। इसके अलावा किताब मार्केट की तरह अन्य ट्रेडर्स के लिए शहर में अलग से मार्केट्स बनाकर दी गई हैं। इसी तरह कार डीलर्स के लिए भी अलग से मार्केट बनाकर देने में क्या दिक्कत है, क्योंकि वे लोग कई सालों से यही काम कर रहे हैं और कोई अन्य काम नहीं कर सकते। ऐसे में चंडीगढ़ प्रशासन उनकी मदद करे।
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