By 121 News
Chandigarh July 01, 2021:- डॉक्टर हमारे समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. मानवता की सेवा करने के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया है लेकिन कोरोना से करोड़ों लोगों को जान बचाने वाले डॉक्टर ही असुरक्षा के माहौल में काम कर रहे हैं. आकड़ो के अनुसार पिछले एक-डेढ़ साल में ही डॉक्टरों पर हमले के 320 से ज्यादा पंजीकृत मामले हुए हैं, जबकि बिना रजिस्टर्ड मामले भी बड़ी संख्या में रहे हैं डॉक्टरों पर हिंसा को रोकने के लिए चंडीगढ़ युवा दल के प्रधान विनायक बंगीआ और संजोयक सुनील यादव द्वारा डॉक्टर्स डे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और हेल्थ सेक्रेटरी को पत्र लिख डॉक्टरों से जुडी समस्याओ से अवगत करवाया है और कहाँ है की इन समस्याओ का हल ही करोना काल में मारे गए डॉक्टरों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी
इस मौके पर जानकारी देते हुए यादव ने बताया की सभी हॉस्पिटल को प्रोटेक्टेड जोन घोषित किया जाए ताकि वहां सुरक्षा संबंधी जिम्मेदारी प्रशासन पर रहे केंद्रीय कानून में डॉक्टरों से बदसलूकी, गाली-गलौच, धमकी जैसे अपराधों को भी शामिल किया जाए.डॉक्टरों पर हमले रोकने के लिए राज्यों द्वारा बनाएं कानून नाकाफी है वैसे तो 23 राज्यों ने डॉक्टरों पर हिंसा को लेकर कानून बनाए हैं, लेकिन इसमें एक समानता नहीं है कि कौन जांच करेगा, कितने वक्त में करेगा. हमारी मांग है कि केंद्रीय कानून लाकर सीआरपीसी और आईपीसी के विशेष प्रावधान किए जाएं. अधिक जानकारी देते हुए बंगीआ ने बताया की महामारी में डॉक्टरों पर काम के भारी दबाव को कम करने के लिए डॉक्टरों के सेंट्रल कैडर बनाएं केंद्र सरकार. कोरोना के दौरान ज्यादातर राज्यों के मेडिकल पूल में डॉक्टर काम कर रहे हैं.राज्यवार इनकी संख्या में भी काफी अंतर है. ज्यादा आबादी वाले उत्तर भारतीय राज्यों के मुकाबले दक्षिण भारत में डॉक्टरों की संख्या ज्यादा है. लिहाजा केंद्र को यूपीएससी की तरह डॉक्टरों के पूल का सेंट्रल कैडर तैयार करना चाहिए. ताकि जब भी महामारी या कोई और जरूरत आए तो ये डॉक्टर कहीं भी काम कर सकें. करोना काल में मारे गए डॉक्टरों को सरकार कोविड शहीद का दर्जा दे और पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजे के साथ अन्य सुविधाएं दी जाएं. डॉक्टरों की भारी कमी है, लिहाजा हमारी मांग है कि सरकार सभी लंबित मेडिकल पीजी एग्जाम कराए. नीट की परीक्षा जल्द से जल्द हो.
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