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Saturday, 27 June 2020

एडवोकेट सतिंदर सिंह ने नाईपर के वरिष्ठ अधिकारी पर फर्जीवाड़े का आरोप लगाए

By 121 News
Chandigarh June 27, 2020:-  नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (नाईपर), मोहाली के ऑफिशिएटिंग रजिस्ट्रार जितेंद्र कुमार चंदेल पर चण्डीगढ़ में कार रजिस्ट्रेशन के लिए फर्जी अथोरिटी लैटर जारी करने का गंभीर आरोप लगा है। यह आरोप चंडीगढ़ के पूर्व काउंसलर एवं भाजपा नेता एडवोकेट सतिंदर सिंह ने प्रशासक वीपी सिंह बदनौर सहित अन्य अधिकारियों को शिकायत भेज कर लगाए हैं। सतिंदर ने इस फर्जीवाड़े में चंदेल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग रखी है। यह शिकायत उन्होंने डीजीपी चण्डीगढ़, ट्रांसपोर्ट सेक्रेटरी, डीसी और आरएलए को भी भेजी थी जिस पर एक्शन लेते हुए अधिकारियों ने से. 17 थाने को जांच करने के निर्देश दिए। इस सिलसिले में सतिंदर को से. 17 में बस अड्डे में स्थित चौकी में ब्यान दर्ज कराने को कहा गया तो उन्होंने कल विधिवत अपना ब्यान दर्ज करा दिया।
उल्लेखनीय है कि सतिंदर सिंह ने अपनी शिकायत में आरोप लगाते हुए कहा था कि जितेंद्र कुमार चंदेल ने अपने पद की गरिमा का ध्यान नहीं रखते हुए फर्जी लेटर जारी किया। दिसंबर 2016 में उन्होंने उस समय के रजिस्ट्रार रहे अपने सीनियर पीजेपी सिंह वड़ैच को उनकी कार सीएच-01-बीके 5169 को मोहाली की बजाए चण्डीगढ़ में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए सेक्टर-21के पते का अथोरिटी लैटर जारी किया। यह पता नाईपर से एसोशिएटिड फार्मा कंपनी के मालिक का था, जबकि वडैच नाईपर के मोहाली स्थित सरकारी आवास में रहते थे। सतिंदर ने कहा कि जिस पते पर गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कराया गया वह कभी उस पर रहे ही नहीं। सतिंदर ने सवाल उठाया  कि चण्डीगढ़ में रोड टैक्स पंजाब से कम है, लेकिन जिस पद पर वड़ैच थे तो उनका इस तरह से चण्डीगढ़ का नंबर लेने की क्या मजबूरी थी। इतने नामी संस्थान के इतने जिम्मेदारी वाले पद पर बैठे अधिकारी का इस तरह से गलत जानकारी देना सवाल खड़े करता है।

डिप्टी रजिस्ट्रार के साइन खुद कर दिए
सतिंदर ने चिट्ठी में आरोप लगाया था कि जिस समय जितेंद्र कुमार चंदेल ने लैटर जारी किया वह रजिस्ट्रार, फाइनेंस एंड एकाउंट्स का कार्यभार देख रहे थे लेकिन जो लेटर आरएलए चण्डीगढ़ भेजा गया उस पर डिप्टी रजिस्ट्रार, एडमिनिस्ट्रेशन एंड परचेज के रूप में उनके साइन थे। सतिंदर ने बताया कि उस समय सुशील कुमार सिंह, डिप्टी रजिस्ट्रार एडमिनिस्ट्रेटर एंड परचेज थे। ऐसे में जितेंद्र चंदेल यह लेटर जारी करने के लिए प्राधिकृत भी नहीं थे।

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