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Saturday, 22 May 2021

सतर्कता और सावधानियां ब्लैक फंगस के खतरे को दूर कर सकती हैं : विशेषज्ञ

By 121 News
Mohali May 22, 2021:- वैश्विक स्तर पर दूसरी सबसे बड़ी मधुमेह आबादी होने और इनमें से लगभग 70 प्रतिशत मामले अनियंत्रित मधुमेह के होने के कारण, भारत में मयूकोर्मिकोसिस यानी ब्लैक फंगस एक मजबूत रिस्क फ़ैक्टर है।
आईवी अस्पताल की ईएनटी विशेषज्ञ डॉ नवदीप कौर बोपाराय ने  कहा कि दूसरी कोविड लहर पहली लहर के मुक़ाबले ज्यादा विनाशकारी रही है और इसमें स्टेरॉयड के उपयोग में वृद्धि हुई है, जिससे न केवल शुगर लेवल बिगड़ता है, बल्कि मयूकोर्मिकोसिस विकसित होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि अस्पताल में भर्ती अधिकांश रोगियों को ऑक्सीजन सिलेंडर, ह्यूमिडिफायर व स्टीमर की आवश्यकता होती है जो मयूकर संक्रमण का संभावित स्रोत बन रहे हैं।
अस्पताल में भर्ती मरीजों में खराब ओरो-नेजल हाइजीन और लंबे समय तक एक ही मास्क का उपयोग भी मयूकोर्मिकोसिस का कारण बन रहा है।
जब बीजाणु नाक के टरबाइन में जमा होते हैं तो राइनो सेरेब्रल रोग विकसित होता है। जब फेफड़ों में प्रवेश करते हैं तो पल्मोनरी रोग विकसित होताा है।
डॉ नवदीप ने कहा कि संक्रमण वैस्क्यलर और न्यूरोनल संरचनाओं के साथ फैलता है और रक्त वाहिकाओं में घुसपैठ करता है। यह हड्डी को नष्ट कर सकता है और ऑर्बिट और रेट्रो-ऑर्बिटल क्षेत्र में फैल सकता हैै।
उन्होंने बताया कि हम दुर्गंधयुक्त नाक से डिस्चार्ज व खून आना, नैज़ल हाइपोस्थेसिया, सिरदर्द, मतली, बुखार के रोगियों को देख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पल्मोनरी (फेफड़े)म् मयूकोर्मिकोसिस के लक्षणों में शामिल हैं : बुखार, खांसी, सीने में दर्द और सांस की तकलीफ । गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल म्मयूकोर्मिकोसिस के लक्षणों में शामिल हैं : पेट दर्द, मतली और उल्टी और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रक्तस्राव।
डिसेमिनेटेड म्मयूकोर्मिकोसिस आमतौर पर उन लोगों में होता है जो पहले से ही अन्य चिकित्सीय स्थितियों से बीमार हैं, इसलिए यह जानना मुश्किल हो सकता है कि कौन से लक्षण मयूकोर्मिकोसिस से संबंधित हैं, उन्होंने कहा।
मयूकोर्मिकोसिस चिकित्सकीय रूप से घातक है क्योंकि 1955 से पहले मयूकोर्मिकोसिस से कोई भी जीवित नहीं बचा था। प्रकाशित मयूकोर्मिकोसिस मामलों की समीक्षा में कुल मृत्यु दर 54 प्रतिशत पाई गई। उन्होंने बताया कि साइनस संक्रमण वाले लोगों में मृत्यु दर 46 प्रतिशत , पल्मोनरी संक्रमण के लिए 76 प्रतिशत और डिसेमिनेटेड मयूकोर्मिकोसिस के लिए 96 प्रतिशत थी।
उन्होंने कहा कि म्मयूकोर्मिकोसिस का निदान रैपिड डायग्नोसिस, प्रारंभिक प्रबंधन, संयुक्त एंटिफंगल ड्रग्सं, एग्रेसिव सर्जिकल इन्टर्वेन्शन और जोखिम कारकों के रिवर्सल के साथ बेहतर हो सकता है।
इस प्रकार किसी भी जीवन के लिए खतरे वाली जटिलताओं को विकसित होने से बचने के लिए व किसी भी संदेह के मामले में नाक के एंडोस्कोपिक मूल्यांकन के लिए निकटतम ईएनटी विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए। डॉ नवदीप ने कहा कि आइए हम सभी सतर्क और उचित सावधानी बरतते हुए इस कोविड महामारी और मयूकोर्मिकोसिस के खतरे से सामूहिक रूप से लड़ें।

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