By 121 News
Chandigarh Oct. 27, 2020:- गाय के गौमूत्र एवं गोबर की कीमत को आज भी देश में बहुत कम लोग समझ पाए हैं। आमतौर पर घर में बच्चा पैदा होने पर, गृह प्रवेश पर गाय के गोबर व गोमूत्र का प्रयोग करना शुभ माना जाता है। गाय के गोबर से देश में कुछ राज्यों में लकड़ी तैयार हो रही है जो इतनी मजबूत होती है कि उसमें कभी कोई कीड़ा तक नहीं लगता है। वहीं चंडीगढ़ में हर साल फैस्टीवल सीजन में कुम्हार दूर दराज से मटकों, दीयों, कुजों आदि को बनाने के लिए चिकनी मिटटी लेकर आते हैं और फिर उसे अच्छी तरह से पीस कर उत्पादों को तैयार करते हैं। उक्त उत्पादों के फैस्ट में प्रयोग के बाद लोग उन्हें यहां वहां फेंक देते हैं। हालांकि मिटटी के उत्पाद काफी दिनों के बाद मिटटी हो जाते हैं। वहीं शहर में गौरीशंकर सेवादल गौशाला 45 की ओर से हर साल गाय के गोबर व हवन सामग्री से न केवल दीये बनाए जाते हैं बल्कि उन्हें गौशाला में आने वाले लोगों को निशुल्क बांटा भी जाता है। गोशाला सेवा दल की ओर से गाय के गोबर से गणेश भगवान की प्रतिमा भी तैयार की जा रही हैं जिन्हें लोगों को दीपावली पर उपहार स्वरुप दिया जाएगा। इस साल भी हजारों की संख्या में उक्त दीये व भगवान गणेश की प्रतिमाएं तैयार करने का काम जोरों शोरों से चल रहा है। उक्त दीयों को जलाने के बाद लोग घरों में अपने गमलों व बगीचों में मिटटी में मिलाकर एक अच्छी खाद के रुप में प्रयोग कर सकते हैं। इससे पर्यावरण को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा बल्कि जमीन की उर्वरक क्षमता को और बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
इस बारे में गौरीशंकर सेवादल गौशाला के उपप्रधान विनोद कुमार व सदस्य सुमित शर्मा ने सोमवार को गौशाला में तैयार हो रहे दीयों व गणेश प्रतिमाओं के बारे में बातचीत की तो बताया कि शहर में अब पर्यावरण होने वाले नुकसान को देखते हुए कुम्हारों को गाय के गोबर से दीपावली पर दीयों को तैयार करने के लिए आगे आना चाहिए। शहर में गाय के गोबर की कोई कमी नहीं है और इसमें मेहनत कम और आय अच्छी काम सकते हैं। कुम्हारों को मिटटी के बर्तनों एवं दीयों को पकाने पर खर्च होने वाले ईंधन से भी निजात मिलेगी। उन्होंने बताया कि गाय का गोमूत्र का अर्क गोशाला से लोग बड़ी संख्या में लेने के लिए आते हैं जो कई बीमारियों को मारता है। उक्त अर्क लोगों को निशुल्क प्रदान किया जाता है। गाय माता होने के साथ इसके दूध से लेकर गोबर में इतनी शक्ति है कि लोगों को इसकी पूरी जानकारी तक नहीं है। उन्होंने बताया कि शहर में हर साल फैस्ट पर गाय के गोबर से तैयार दीयों का प्रयोग हो तो इससे न तो पानी खराब होगा और न ही जमीन की उर्वरक क्षमता। गाय का गोबर यूरिया से बेहतर काम करता है और इसके नियमित प्रयोग से फसल भी कई गुणा अच्छी होती है। उन्होंने बताया कि गाय के गोबर से तैयार होने गणेश की प्रतिमाओं की यहां बहुत मांग है और लोग इसकी ही पूजा करने के बाद गमलों में विसर्जित करते हैं।
विनोद कुमार ने बताया कि गोशाला में गाय की छोटी बछडिय़ों के मूत्र को पूरी तरह से प्यूरीफाई कर आंखों की बीमारियों को दूर करने पर कुछ चिकित्सक शोध कर रहे हैं । उन्होंने बताया कि लोग अपने प्राचीन इतिहास व संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। प्राचीन समय में गाय के गोबर व गोमूत्र का कई रोगों के उपचार के लिए प्रयोग होता था लेकिन समय के साथ लोग एलोपैथी की ओर रुख कर गए। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण ने न केवल देश व बल्कि विदेशों के लोगों को अपनी पुरानी संस्कृति को अपनाने पर विवश कर दिया। देश व विदेश में लोग अपने बाडी की इम्यूनिटी को बरकरार रखने के लिए गोमूत्र के अर्क का प्रयोग कर रहे हैं।
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