By 121 News
Chandigarh, April 21, 2024:-प्राचीन कला केंद्र द्वारा यहाँ प्राचीन कला केंद्र के 35 स्थित एम एल कौसर सभागार में एक विशेष संगीत संध्या का आयोजन किया गया। जिस में मुंबई से आये जाने माने बांसुरी वादक पंडित संतोष संत ने अपनी मधुर प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया। इनके साथ इनकी प्रतिभाशाली शिष्या हर्षिता गिरी ने भी संगत की।
पंडित संतोष संत ने अपने गुरु पद्मविभूषण पंडित हरिप्रसाद चौरसिया जी शिष्यत्व में बांसुरी वादन में महारत हासिल की। संगीतिक परिवार में
जन्मे संतोष संत के पिता ग्वालियर घराने के प्रसिद्द सगीतज्ञ थे। संतोष के संगीत में पारम्परिक संगीत और नए दौर के संगीत का अद्भुत मेल दिखाई देता है। उन्होंने संगीत की इस कला को प्रचार एवं प्रसार हेतु अपने गुरु पंडित हरी प्रसाद चौरसिया जी को समर्पित स्वरवेणु नामक संस्था की स्थापना की। जिसके द्वारा बांसुरी वादन की शिक्षा प्रदान करके अपना चिरजीवी स्वप्न पूरा कर रहे हैं।
पंडित संतोष संत ने अपने कार्यक्रम की शुरुआत राग यमन से की जिस में उन्होंने आलाप जोड़ एवं झाला की बेजोड़ प्रस्तुति से दर्शकों को सहज ही अपने साथ जोड़ लिया।
इसके उपरांत इन्होने रूपक ताल में एक खूबसूरत बंदिश पेश करने के पश्चात द्रुत एक ताल में सजी बंदिश पेश करके दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए इन्होने राग हंसध्वनि में निबद्ध मध्य लय तीन ताल की रचना से समां बांध दिया। द्रुत तीन ताल से सजी अगली रचना को सुन कर दर्शकों ने बांसुरी की मधुर धुनों को खूब सराहा। संगीत की इन मधुर स्वर लहरियों से दर्शक अभिभूत हो गए।
कार्यक्रम के अंत में पंडित संतोष संत ने मिश्रा शिवरंजनी से सजी धुन की खूबसूरत प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया। इनके साथ दिल्ली से आये जाने माने तबला वादक श्री प्रांशु चतुरलाल ने बखूबी संगत करके समां बांधा और साथ ही पंडित संतोष संत की प्रतिभाशाली शिष्या हर्षिता गिरी ने संगत करके गुरु की शिक्षा को सार्थक किया और दर्शकों की तालिया बटोरी
कार्यक्रम के अंत में केंद्र की रजिस्ट्रार डॉ शोभा कौसर एवं सचिव श्री सजल कौसर ने कलाकारों को उत्तरीया एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया। श्री सजल कौसर ने बताया की आगामी 27 अप्रैल को पंजाब घराना के तबला गुरु पंडित सुशील जैन के शिष्यत्व में तबला वादन की शिक्षा प्राप्त कर रहे दो मेधावी शिष्यों द्वारा तबला वादन की प्रस्तुति पेश की जाएगी।
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