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Friday, 11 August 2023

शील ही मनुष्यों का सच्चा आभूषण है: आचार्य श्री 108 सुबल सागर जी महाराज

By 121 News
Chandigarh, Aug. 11, 2023:- चंडीगढ़ श्री दिगम्बर जैन मंदिर धर्मसभा को संबोधित करते हुए, गुरु महाराज ने कहा, हे भव्य धर्मात्माओं सबसे बड़ा आभूषण अगर कोई है, तो वह है, शील। बाजार में हम कोई वस्तु खरीदने के लिए जाते है तो देखते है कि यह वस्तु शील पैक है कि नहीं। अगर उस पर शील नहीं है तो हम उस पर विश्वास नहीं करते, भरोसा नहीं करते हैं। उसे खरीदते ही नहीं है। शील पैक वस्तु की गारंटी होती है। इसी प्रकार इस संसार में शील का अपना महत्त्व है। शीलवान नारियों की समस्त लोक में देवों के द्वारा पूजा की जाती है, उनकी रक्षा के लिए साक्षात देव आकर उनके शील की रक्षा करते हैं सती सीता, सोमा सती, अंजना सती, द्रोपती सती, मनोरमा, मैना सुन्दरी  आदि ऐसी कितनी ही सती हुई हैं जिन्होंने अपनी शील पर आंच नही आने दी उनकी परीक्षा हुई, तो वे सफल हुई और देवों ने आकर उनका सम्मान किया, यह शील का ही प्रताप है। यह विज्ञान का युग है सब तरफ विज्ञान का जोर है। "आदमी का पेंट टाइट होता जा रहा है और करेक्टर लूज होता जा रहा है "सब तरफ विदेशी संस्कृति की होड़ लगी हुई है। आपसे निवेदन है आप भले ही विदेशी संस्कृति का अनुकरण कीजिए, लेकिन कपड़ों के मामले में नहीं। यह घाटे का सौदा है। सूर्य पश्चिम का अनुकरण करता है तो अस्त होता है। आप भी पश्चिम का अनुकरण करोगे तो आप भी अपने जीवन को और अपने धर्म को नष्ट कर दोगे। आज इस कालिकाल में युवा युवतियाँ इस आभूषण से सर्वथा रहित हैं आज की स्त्रियों का शील तो अर्द्धवस्त्र पहनना, फैशन वाले कपड़े पहनना और ब्यूटी पार्लर में जाकर अपनी चमड़ी को चमकाना ही रह गया है जो लोग शील का पालन करते हैं उनकी समस्त आपतियां दूर हो जाती हैं। शील सहित व्यक्तियों की देव भी आकर रक्षा करते हैं। शील से रहित होने पर लोगों को नरक के अति दुखदाई कष्टों को भोगना पड़ता है। और आने वाली पीड़ियों में, इसे वेश्या,  सूकरी,  बकरी आदि दुर्गतिओं में जन्म लेना पड़ता है। इसलिए हे भव्य प्राणी! पाप भाव से बचो, अन्यथा दुर्गति से बचाने वाला कोई नहीं है। जैसे बने वैसे अपने शील की रक्षा कीजिए। 
यह जानकारी संघस्थ बाल ब्र. गुंजा दीदी एवं श्री धर्म बहादुर जैन जी ने दी।

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