By 121 News
Chandigarh, July 09, 2023:-
दिल के बुजुर्ग मरीजों की पहले एंजीप्लास्टी के रिवायती तरीके से जिंदगी बचानी मुश्किल थी तथा जहां बाईपास सर्जरी नहीं की जा सकती थी, पर अब ऐसे मरीजों के लिए उम्मीद की एक नई किरण उभरकर सामने आई है, क्योंकि उनका सटीक एंजीप्लास्टी द्वारा सुरक्षित ढंग से इलाज किया जा सकता है। हार्ट फंक्शन के कमजोर मरीजों के साथ डाक्टर अब मिनीएचर हार्ट पंप (इम्पेला) की नवीनतम टेक्नोलॉजी के प्रयोग से सुरक्षित एंजियोप्लास्टी कर सकते हैं। विश्व प्रसिद्ध कार्डियोलोजिस्ट तथा हार्ट फाऊंडेशन के प्रमुख डा. एच.के.बाली ने कहा कि दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंस के दौरान दिल की बीमारियों के मरीजों के लिए प्रबंधन में नवीनतम तथा एडवांस टेक्नोलॉजी विषय पर विचार-चर्चा किया गया।
मेडीकल एनजीओ हार्ट फाऊंडेशन द्वारा चंडीगढ़ में करवाई गई अंतर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंस 'कार्डियोवेस्कूलर इंटरवेंशन इमेजिंग स्ट्रक्चरल थैरेपियूटिक्स (सीआईआईएसटी) 360 डिग्री' दौरान दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से आए 300 से अधिक प्रसिद्ध डाक्टरों तथा दिल की बीमारियों के माहिरों ने गंभीर तौर पर दिल के मरीजों का प्रबंधन करने के लिए, जिनमें शामिल हैं-जटिल कोरोनरी आर्टरी बीमारी, वाल्वूलर हृदय रोग, कमजोर दिल तथा नाड़ी की बीमारियों से पीडि़त के इलाज के लिए बेहतरीन तथा नवीनतम तकनीकों के बारे विचार-विमर्श किया।
इस अवसर पर डा. बाली, जो कि कार्डियक साइंस पारस ग्रुप ऑफ हास्पीटल के चेयरमैन भी हैं, ने बताया कि भारत में हार्ट फेल चिंताजनक दर से बढ़ रही है तथा यह बीमारी लगभग महामारी के अनुपात में पहुंच गई है। भारत में अंदाजन दिल की धडक़न रूकने वाली बीमारी की दर प्रति वर्ष 1.3 मिलियन से 4.6 मिलियन केसों के बीच है। ऐसे मरीजों में भी इजाफा है, जिनको गंभीर कोरोनरी आर्टरी बीमारी तथा कई अन्य रोगों से पीडि़त हैं।
कान्फ्रेंस में बोलते हुए स्विटजरलैंड से डा. फलोरिम कुकूली तथा इटली से डा. जियोलियाू गुइगलियामी ने कहा कि ओसीटी तथा आईवीयूएस जैसी नीरू इमेजिंग टेक्नोलॉजी अब पेचीदा एंजीप्लास्टी प्रक्रियाओं को बहुत कुशल बना रही है तथा बढिय़ा नतीजे दे रही है।
इस अवसर पर अमरीका से डा. सैबलकार तथा फ्रांस से डा. पीटर एंडरिका ने कहा कि दिल की धडक़न रूकने वाले मरीजों, जिनको माइटरल रिग्रीटेशन (मिट्रल वाल्व का लीक होना) होता है तथा जिनको सर्जरी के लिए बहुत ज्यादा जोखिम होता है, मिट्राक्लिप द्वारा वाल्व की प्रिक्यूटेनियस रिपेयर की जाती है। यह वरदान साबित होता है क्योंकि यह लक्ष्णों में सुधार करता है तथा बार-बार अस्पताल में दाखिल होने से रोकता है।
भारतीय तथा अंतर्राष्ट्रीय कार्डियोलॉजिस्ट अपनी राय में एकमत थे कि गंभीर डिजनरेटिव एयोरटिक स्टैनोसिस वाले बुजुर्ग मरीजों के लिए खासतौर पर जिनको एनसथीसिया तथा ओपन हार्ट सर्जरी का जोखिम बढ़ गया है, के लिए ट्रांसक्यूटेनियस एरोटिक वाल्व बदलना बेहतर इलाज विकल्प है।
दो दिवसीय कान्फ्रेंस में दिल की धडक़न का रूकना तथा आगे की चुनौतियों पर गलोबल तथा भारतीय दृष्टिकोण दिल की धडक़न रूकने के संकेत, मुद्दे तथा सीमाएं, दिल की धडक़न रूकने के लिए इलाज संबंधी अपडेट तथा दिल के डाक्टरी इलाज सहित नई दवाईयों से दिल की धडक़न रूकने में अलग-अलग किस्मों के पेसमेकरों की भूमिका के बारे अलग-अलग सेशन हुए।
मैनेज ऑफ हार्ट फेल्यर विद रिडयूसड इंजेक्शन फ्रेक्शन (एचएफआरईएफ) विषय पर एक सेशन के दौरान पोस्ट ग्रेजूऐट इंस्टीच्यूट ऑफ मेडीकल एजूकेशन एंड रिसर्च (पीजीआई) चंडीगढ़ से डा. अजय बहल ने भी दिल की धडक़न रूकने के मेडीकल प्रबंधन में नवीनतम तरक्की के बारे बात की। डा. बहल ने कहा कि हमको ऐसे मरीजों को इलाज दवाईयों से करना चाहिए। इलाज दौरान सभी चार स्तंम्भ जल्द शुरू किए जाने चाहिए तथा अधिक से अधिक लाभ के लिए सर्वोत्तम आहार में बरते जाने चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंस में भारती की नुमाइंदगी डा. अतुल माथुर (दिल्ली), डा. सरीता रोआ (इंदौर), डा. पीसी रथ (हैदराबाद), डा. विजय चोपड़ा (दिल्ली) ने की।
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