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Wednesday, 26 April 2023

प्राचीन कला केंद्र द्वारा एक विशेष संयुक्त उद्यम का आगाज़

By 121 News
Chandigarh, April 26, 2023:- भारतीय शास्त्रीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्राचीन कला केंद्र द्वारा एक नए कदम का आगाज़ किया गया है, जिसमें ट्राइसिटी और आसपास के प्रतिष्ठित स्कूलों के साथ अपने नए  संयुक्त उद्यम के बारे में शुरुआत की गई है।  केंद्र के मुख्य उद्देश्यों में से एक सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और प्रसार के लिए युवा पीढ़ी को भारतीय शास्त्रीय कलाओं से अवगत करवाने और इन कलाओं को सीखने हेतु रूचि  जागृत करने के लिए ये एक सराहनीय कदम है।  इस अवसर पर वरिष्ठ कत्थक गुरु डॉ शोभा कौसर,  जानी मानी कत्थक नृत्यांगना डॉ समीरा  कौसर, केंद्र के प्रोजेक्ट मैनेजर पार्थ कौसर के साथ  बनयान ट्री स्कूल के हेडमास्टर जी एस चड्ढा और कुरुक्षेत्र के विजडम वर्ल्ड स्कूल के निदेशक विनोद रावल एवं अनीता रावल भी मौजूद थे ।  इन सबने केंद्र के इस नए प्रोजेक्ट को लेकर बहुत सी बातें की। इनके साथ ही केंद्र के सचिव सजल कौसर भी उपस्थित थे।  केंद्र अभी तक बनयान ट्री स्कूल, डीऐवी स्कूल  एवं विजडम वर्ल्ड स्कूल के साथ इस संयुक्त प्रयास का आगाज़ कर रहा है। 

जैसा कि आप जानते हैं कि केंद्र पिछले छह दशकों से अधिक समय से भारतीय शास्त्रीय कलाओं के संरक्षण में बड़े पैमाने निरंतर कार्यरत है और इसी के अगले चरण में में केंद्र इस नए  प्रयास के माध्यम से भारतीय शास्त्रीय कलाओं जैसे  कथक नृत्य, हिंदुस्तानी संगीत और पेंटिंग की कक्षाएं जोकि  स्कूल के परिसर में स्कूल ख़तम होने के बाद इच्छुक छात्रों के लिए शुरू की जा रही हैं  ये कक्षाएं छात्रों को कला के क्षेत्र के कुछ सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों से सीखने, उनके कौशल और ज्ञान को विकसित करने और उनके समग्र शैक्षिक अनुभव को समृद्ध करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेंगी। गुणवत्ता प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए ये कक्षाएं अत्यंत सुचारू रूप से  संचालित की जाएंगी।  सभी स्तरों की प्रवीणता के  छात्रों की उनकी जरूरतों के हिसाब से पूरा करने के लिए केंद्र के शिक्षक सूचनात्मक और अनुकूलित तरीके से संवाद करेंगे।

यहां यह उल्लेख करना उचित है कि केंद्र के उपर्युक्त कार्यक्रमों में भाग लेने  वाले छात्रों को  प्राचीन कला केंद्र की उन परीक्षाओं में भाग लेने का अवसर भी मिलेगा जो पूरे भारत में विभिन्न शासकीय निकायों द्वारा मान्यता प्राप्त प्रमाणपत्रों द्वारा समर्थित हैं। ये सर्टिफिकेट उनके आगामी जीवन में भी एक मूल्यवान प्रमाण पत्र की तरह एक अतिरिक्त निवेश की भांति  होगा  जिस से छात्र कला के क्षेत्र में  कुछ नया सीख पाने में सक्षम होंगे।

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