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Wednesday, 30 March 2022

GRAD (Gravitational Resistance and Diet) System Can Cure Chronic Kidney Disease: Study

By 121 News
Chandigarh Mar.30, 202:- डॉ.बिस्वरूप रॉय चौधरी, पीएचडी द्वारा मधुमेह प्रबंधन के लिए विकसित की गई नई ग्रेविटेशनल रजिस्टेंस एंड डाइट (गुरुत्वाकर्षण प्रतिरोध और आहार) (जीआरएडी) सिस्टम काफी आशाजनक लग रहा है और क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) रोगियों के लिए आशा की एक किरण प्रदान करने के लिए तैयार है। इसका प्रमुख आधार ये है कि डायलिसिस रोगियों के बीच क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) को उलटने में आयुर्वेद सिद्धांत आधारित जीआरएडी प्रणाली की प्रभावशीलता पर पहली बार संभावित समूह अध्ययन के परिणामस्वरूप उत्साहजनक परिणाम प्राप्त हुए हैं। शोध राजस्थान के 13 वर्षीय श्रीधर विश्वविद्यालय, दयानंद आयुर्वेदिक कॉलेज, जालंधर, भारत के सबसे पुराने आयुर्वेदिक कॉलेजों में से एक, और हॉस्पिटल एंड इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटेड मेडिकल साइंसिज, डेरा बस्सी, जयपुर और जोधपुर के विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा किया गया था, जिसे प्रसिद्ध आयुर्वेद और योग गुरु - आचार्य मनीष द्वारा स्थापित किया गया है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में विशेषज्ञों द्वारा आंख खोलने वाला अवलोकन अध्ययन भी जारी किया गया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाग लेने वालों में आयुर्वेद और योग गुरु-आचार्य मनीष, डॉ. विश्वरूप रॉय चौधरी, श्रीधर यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. ओम प्रकाश गुप्ता, डॉ अनु भारद्वाज (बीएएमएस), डॉ. अमर सिंह आजाद, एमडी, पीडियाट्रिक्स एंड कम्युनिटी मेडिसन और डॉ. अवधेश पांडे, एमडी, रेडियोलॉजी शामिल थे।
जीआरएडी प्रणाली के आविष्कारक डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी ने यहां चंडीगढ़ प्रेस क्लब में मीडियाकर्मियों को बताया कि जीआरएडी में दो घंटे गर्म पानी विसर्जन चिकित्सा (वाटर इमरर्शन थेरेपी), सिर नीचे झुकाव चिकित्सा और अनुशासित और बुद्धिमान लोग (डीआईपी) आहार शामिल हैं। ये तत्व जीआरएडी सिस्टम के केंद्रक का निर्माण करते हैं।'
श्रीधर यूनिवर्सिटी के अनुसंधान दल के सदस्य डॉ. अनु भारद्वाज (बी.ए.एम.एस) ने कहा कि भारत भर के 22 राज्यों से जीआरएडी प्रणाली के तहत इलाज करा रहे 100 डायलिसिस रोगियों को औसतन 100 दिनों तक निरीक्षण में रखा गया और इसके प्रभावों को दर्ज किया गया।
श्रीधर यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. ओम प्रकाश गुप्ता ने कहा कि जिन रोगियों ने जीआरएडी प्रणाली को पूरी तरह से अपनाया, उनमें से 75 प्रतिशत स्वयं को डायलिसिस से मुक्त कर सके और शेष 25 प्रतिशत स्वयं को आंशिक रूप से डायलिसिस से मुक्त कर सके।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद विशेषज्ञों ने कहा कि हल्के, मध्यम और गंभीर रोगियों में सीकेडी को उलटने के लिए जीआरएडी प्रणाली की सिफारिश की जा सकती है और इसे डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण के प्रभावी विकल्प के रूप में देखा जा सकता है।
आयुर्वेद और योग गुरु-आचार्य मनीष, जो एचआईआईएमएस अस्पताल, डेरा बस्सी के भी चेयरमैन हैं, ने सीकेडी के सफलतापूर्वक इलाज किए गए रोगियों का परिचय देते हुए, जीआरएडी प्रणाली के दृष्टिकोण को साझा किया। उन्होंने कहा कि यह सस्ती है और ग्रामीण परिवेश में भी रोगियों की सुविधा पर किया जा सकता है। जीआरएडी प्रणाली को डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के अंत की शुरुआत के रूप में देखा जा सकता है।
आचार्य मनीष ने कहा कि सीकेडी रोगियों के लिए जीआरएडी प्रणाली एक बड़ी उम्मीद के रूप में आती है क्योंकि दुनिया भर में लगभग 70 करोड़ लोग सीकेडी से पीड़ित हैं और उनमें से लगभग एक तिहाई भारत या चीन में रहते हैं। अब तक इसका कोई इलाज नहीं है और केवल डायलिसिस और ट्रांसप्लांट ही इलाज उपलब्ध है, जो अधिकांश रोगियों की पहुंच से बाहर है।
श्रीधर विश्वविद्यालय के डॉ. अनु भारद्वाज ने जीआरएडी प्रणाली के आयुर्वेदिक पहलुओं की व्याख्या की, जबकि डॉ. अमर सिंह आजाद, एमडी, पीडियाट्रिक्स कम्युनिटी मेडिसिन और डॉ.अवधेश पांडे, एमडी, रेडियोलॉजी सहित अन्य शोध दल के सदस्यों ने इस नई खोज के संबंध में सीकेडी के रिवर्सल की एलोपैथिक प्रासंगिकता और इसके दायरे के बारे में बताया।

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