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Thursday, 1 April 2021

द स्ट्रोक्स ऑफ सॉलिट्यूड: जिंदगी की एक खूबसूरत गाथा

By 121 News

Chandigarh April 1, 2021:- 'कॉन्फिगरेशनल कोऑर्डिनेट्स ऑफ वुमेंस स्पेस इन सिलेक्टेड नॉवेल्स ऑफ शशि देशपांडे' और ' प्राइसलेस पेटल्स' की शानदार सफलता के बाद डॉ.ऋतु कामरा कुमार अपनी तीसरी किताब ' स्ट्रोक्स ऑफ सॉलिट्यूड' के साथ वापसी कर रही हैं। जीवन के विस्तृत अवलोकनों के बारे में एक विचारों को नए आयाम देने वाली इस नई किताब- स्ट्रोक्स ऑफ सॉलिट्यूड, को जाने माने प्रेरक वक्ता और लेखक, विवेक अत्रे द्वारा रिलीज किया गया है।

किताब के बारे में बात करते हुए, डॉ.ऋतु ने कहा कि स्ट्रोक्स ऑफ सॉलिट्यूड में संकलित लेख मेरे जीवन के अनुभवों के प्रति मेरे दृष्टिकोण का अवलोकन करते हैं। यह मेरे विचारों की एक अनूठी अभिव्यक्ति है जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती है; इस प्रकार, ये किताब मेरे जीवन में व्याप्त संवेदनशीलता, बेहतरीन अनुभवों और एक भावनात्मक उत्साह को भी उभार कर सामने लाती है।

उन्होंने आगे बताया कि एकांत के इन पलों को इस किताब के कैनवास पर इंद्रधनुषी छटा के साथ चित्रित किया गया है, जिसमें हर्षोल्लास, स्पष्ट चिंतन, जीवंत लालसाओं, और एक दिव्य निर्देशों का चित्रण किया गया है, जो मानव भाग्यवाद, झल्लाहट और भाग्य का एक हिस्सा है।

जबकि लेखन एकांत और निजता का विषय हो सकता है, यह एक असीम आनंद प्रदान करता है, जिसे दुनिया के साथ साझा किया जाना है, और इन्हीं विचारों के बीच इस किताब ने जन्म लिया। ऋतु का दृढ़ विश्वास है कि जीवन के विशाल कैनवास को शब्दों के साथ चित्रित करने के लिए कोई बाहरी रंगों की आवश्यकता नहीं है, लेकिन क्षणों को रोशन करने के लिए केवल एक गहरी नजर की जरूरत है।

ऑथर्सप्रेस द्वारा प्रकाशित, स्ट्रोक्स ऑफ सॉलिट्यूड को 5 खंडों में विभाजित किया गया है: जिनमें किथ एंड किन, मेयरिड मसिंग्स, वुमन वर्ड, एकडेमिया एस्थेटिक और रेजोनेंट रियलिटीज, इनके बाद रीडर्स रिफ्लेक्शंस हैं।

विवेक अत्रे ने इस किताब के बारे में बात करते हुए कहा कि डॉ.ऋतु कुमार ने जीवन और उसकी उथल-पुथल के बारे में काफी जिंदादिली से लिखा है, जिसमें उन्होंने काफी आनंद भी महसूस किया है। वह एक स्वाभाविक और प्रतिभाशाली लेखिका है, जिसके पास मानवीय व्यवहार और मनोविज्ञान के अवलोकन की विस्तार और गहरी समझ है। व्यंग और हास्य की एक शांत लेकिन सटीक अभिव्यक्ति उनके लेखन की पहचान है। उनकी इस नई किताब के लिए उन्हें मेरी शुभकामनाएं और हमें अपनी सोसायटी में डॉ.ऋतु कामरा कुमार जैसी सकारात्मक सोच के कई और प्रतिनिधियों की आवश्यकता है। 

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