By 121 News
Chandigarh Jan.05, 2021:- पिछले 41 दिनों से, ठंड और बरसात में दिल्ली की सीमाओं पर किसान अपने हकों के लिए बैठे है । उनके जज्बे और संघर्ष को देख कर हर इंसान का दिल पसीज रहा है। इसी कड़ी में चंडीगढ़ की समाजसेवी संस्था समस्या समाधान टीम ने 100 तिरपाल और 200 बरसाती दिल्ली जा कर किसानों को भेट किये । इस मौके पर समस्या समाधान टीम के मनोज शुक्ला ने कहा कि किसान हमारे अन्नदाता है और उनकी हर प्रकार से मदद करना हमारा कर्तव्य है इसीलिए हमने पहले 10 टन सुखी लकड़ी और अब 100 तिरपाल, 200 बरसाती और 100 सुरक्षा जैकेट किसान आंदोलन में भेट किये है। इस सेवा में मुख्य योगदान अमरिका से रणजीत सिंह, गुरबचन कौर के इलावा हमारे वरिष्ठ टीम मेंबर ओंकार सैनी, गुरप्रीत सिंह, भुवेश और समाजसेवी प्रवीन का रहा है । बरसात और ठंड को ध्यान में रखते हुए रात को ही ओंकार सैनी, हैरी और भुवेश दिल्ली किसान आंदोलन सहायता ले कर रवाना हो गए थे और वहां जा कर किसानों की मदद की ।
ओंकार सैनी ने कहा कि देश की सर्वोच्च न्यायालय की बार एसोसिएशन और बहुत सी हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने कृषि कानूनों को किसानों और जन विरोधी बताते हुए किसान आंदोलन को समर्थन दिया है।
बरसात और ठंड में अब तक 50 से ज्यादा किसान अपनी मांगों के लिए बलिदान दे चुके है और पता नही कितना नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। प्रजातंत्र लोगों से, लोगों के लिए, लोगों द्वारा होता है इसलिए सरकार को जनता की बात मानते हुए कृषि कानून वापिस ले लेने चाहिए। सरकार को इतना निष्ठुर भी नही होना चाहिए।किसानों ने तो कृषि कानूनों के नुकसान गिनवाये है परंतु सरकार ने कानून वापिस लेने से होने वाले नुकसान नहीं बताये हैं इसलिए सरकार को हठ छोडकर किसानों की मांग मान लेनी चाहिए और कानून वापिस ले लेने चाहिए ।
इस मौके पर भुवेश ने कहा कि प्राइवेट मंडी आने से सरकारी मंडी तंत्र धीरे धीरे बंद हो जायेगा और एफसीआई भी बंद हो जायेगा, जो गरीबों के लिए सस्ता राशन खरीदते है । अगर एफसीआई बंद हो गया तो सरकार की तरफ से गरीबों को मिलने वाला सस्ता राशन भी बंद हो जाएगा, जिससे भुखमरी बढ़ेगी । इसके इलावा खाने पीने की चीजों की असीमित भंडारण का हक देने से कालाबाजारी, भ्रष्टाचार और मँहगाई भी बढ़ेगीI प्याज के रेट बढ़ने का मुख्य कारण हमेशा से ही प्याज का गैर कानूनी भंडारण रहा है और अब हर खाने पीने की चीजों का असीमित भंडारण गरीब और मध्यम वर्ग की पीठ तोड़ कर रख देगी । इसलिए किसानों के ही नही लोक हित में भी इन कानूनों को सरकार द्वारा वापिस ले लेना चाहिए ।
No comments:
Post a Comment