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Wednesday, 23 December 2020

सर्दियों में गंभीर मौसमी इन्फ्लुएंजा को लेकर सतर्क किया

By 121 News

Chandigarh Dec. 23, 2020:- बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण सर्दी और खांसी के इस मौसम की गंभीरता और बढ़ गई है। इसी तरह, मौसमी इन्फ्लूएंजा को लेकर भी चिंता और ज्यादा हो गई है। क्योंकि ठंडी हवा कम पानी को धारण करती है और इसमें कम आर्द्रता होती है, इसलिए यह मौसम अनिवार्य रूप से इन्फ्लूएंजा वायरस के संचरण दर को बढ़ाता है। कोविड-19 का खतरा लंबे समय तक खत्म, होता नजर नहीं रहा है, इस बीच, मौसमी इन्फ्लूएंजा से खुद को सुरक्षित रखना अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के अनुसार, सितंबर 2020 तक, एच1एन1 मामलों की संख्या 2,730 थी जिसमें 44 मौतें हुईं।1 भारत में इन्फ्लुएंजा-संबंधी मृत्यु दर 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और 65 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों में अधिक होने का अनुमान है।

डॉक्टर गौरव गुप्ता, बाल रोग विशेषज्ञ, चरक केयर क्लीनिक, मोहाली, ने कोविड के बीच सर्दियों के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा, वर्तमान परिदृश्य में इन्फ्लूएंजा और कोविड को लेकर काफी चिंता है और यह दोनों हेल्थकेयर संसाधनों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और दोहरी महामारी का कारण बन सकते हैं। हालांकि, यह सर्दियों के मौसम की शुरुआत है और इन्फ्लूएंजा मामलों में वृद्धि के बारे में बात करना अभी बहुत जल्दबाजी होगी। टीके से बचाव जरूरी है। बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी को इन्फ्लूएंजा वैक्सीन (टीका) दिए जाने की आवश्यकता है। यही नहीं, हम पेरेंट्स और ग्रांड पेरेंट्स को भी इन्फ्लुएंजा वैक्सीेन के फायदों के बारे में बताते हैं, जब वे अपने बच्चे के साथ फ्लूा शॉट के लिए आते हैं।

अक्सर, मौसमी इन्फ्लुएंजा को सामान्य जुकाम समझा जाता है जो केवल इसकी गंभीरता को कम करता है बल्कि लंबे समय तक या इलाज के बाद शरीर के इम्युन सिस्टम को भी खतरे में डालता है। इन्फ्लुएंजा एक गंभीर वायरल संक्रमण है जो फेफड़े, नाक और गले पर हमला करता है। विशेष रूप से अगर बच्चों, वृद्ध या गर्भवती महिलाओं में यह संक्रमण होता है तो वायरस दीर्घकालिक नुकसान पहुंचा सकता है और कैंसर या गंभीर श्वसन रोग करने जैसे कुछ मामलों में टर्मिनल हो सकता है

डॉक्टर गौरव कहते है कि विशेष रूप से एलर्जी तथा कमजोर इम्यून वाले लोगों के लिए इस मौसम का सामना करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। मेरे निरीक्षण के आधार पर, 6 से 5 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों और मधुमेह या किडनी जैसी अन्य बीमारियों वाले लोगों में इन्फ्लूएंजा से अधिक प्रभावित होने की आशंका होती है। इसके अलावा, वायु प्रदूषण श्वसन अंगों को प्रभावित करता है और इम्युनिटी घटाता है जिससे आप संक्रमण को लेकर ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं। इसलिए सुरक्षित रहना और हर साल इन्फ्लुएंजा वैक्सीन लगावाना बेहतर होता है।

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) सांस की बीमारियों वाले रोगियों को वार्षिक इन्फ्लूएंजा वैक्सीन लगवाने की सलाह देता है जिससे वायु प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारी को रोकने में मदद मिल सकती है।
इन्फ्लुएंजा वायरस हमेशा अपना रूप बदलता रहता है यानी म्यूंटेट होता रहता है और इस वजह से वायरस से मुकाबले के लिए वैक्सीएन स्ट्रेन में वार्षिक बदलाव जरूरी है। इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारियों से होने वाले खतरे को कम करने के साथ-साथ टीकाकरण के अनेक लाभ देखे गए हैं। यह मौसमी संक्रमण के विरुद्ध तैयार होने की सबसे प्रभावी रणनीति है। इन्फ्लुएंजा के टीके अस्पताल में भर्ती होने सहित इन्फ्लूएंजा की गंभीरता को कम करने में प्रभावशाली हैं। इसलिए, उच्च जोखिम वाले समूहों के लोगों को टीका लगवाने की अत्यधिक अनुशंसा की जाती है। इससे इन्फ्लुएंजा से संबंधित बीमारियों एवं जटिलताओं को कम करने के लिए हेल्थकेयर सिस्ट्म पर बोझ कम करने में मदद मिलती है। डब्लूएचओ की अनुशंसाओं के अनुसार इन्फ्लुएंजा क्वाड्रिवैलेंट वैक्सीन के नवीनतम स्ट्रेन को लगवाने से इन्फ्लुएंजा को प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है।

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