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Sunday, 6 September 2020

अंग प्रत्यारोपण प्रक्रिया नही आसान: डॉ आशीष शर्मा कोरोना मरीज के अंग निकाल दूसरे में प्रत्यारोपित करने की खबरें है अफवाह: डॉ आशीष शर्मा

By 121 News
Chandigarh Sept.06, 2020:-
देश भर के अलग-अलग शहरों में अफवाहें फैल रही है कि कोरोना मरीजों को लेकर पहले जानबूझकर उन्हें पॉजिटिव किया जाता है और फिर अस्पताल में ले जाकर के उनके शरीर के अंगों को निकाल लिया जाता है। जिसको लेकर पीजीआई के किडनी ट्रांसप्लांट के हेड डॉ आशीष शर्मा ने जानकारी देते हुए तमाम वह बातें सामने रखें, जिससे अब समझना मुश्किल नहीं,  अंग निकालकर किसी दूसरे शरीर में डालना कोई बच्चों का खेल नहीं है।

जिस तरह से अफवाहें फैलाई जा रही है उसको लेकर सरकारों की तरफ से हालांकि सख्ती की जा रही है। लेकिन फिर भी आम जनता के मन के बीच ऐसे कोई अभाव बना रहे। इसको लेकर पीजीआई के डॉ आशीष शर्मा ने बताया कि जब भी किसी मरीज के अंग निकाल कर दूसरे शरीर में दाखिल किए जाते हैं तो उसका एक लंबा प्रोसीजर रहता है। जोकि इतना आसान नहीं कि किसी मरीज को लाया जाए और उसके अंग निकाल कर दूसरे शरीर में डाल दिए जाएं। सबसे पहले उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर कोई कोरोना मरीज है तो उसके अंग किसी दूसरे शरीर में काम नहीं आ सकते। क्योंकि जब कोई शरीर का अंग निकाल कर दूसरे शरीर में डाले जाते हैं, तो जिस व्यक्ति के अंग निकाले जाते हैं, उसके शरीर में किसी भी तरह का इन्फेक्शन ना हो यह सबसे पहले जांचा जाता है और अगर किसी भी तरह का ऐसा इंफेक्शन जो कि कोरोना महामारी को अगर देखे जिसकी दवा तक नहीं उसके चलते अंग निकालकर शिफ्ट करना तो नामुमकिन है। इन्फेक्शन अगर ज्यादा हो तो भी अंग दूसरे शरीर में शिफ्ट नहीं किया जा सकता।

पीजीआई के डॉक्टर ने यह भी बताया कि जो तमाम टेस्ट पहले अंग शिफ्ट करने के लिए किए जाते हैं, उसके लिए हर जगह पर लैबोरेट्री उपलब्ध नहीं है। जिसमें देश की कुछ लैबोरेटरी यही है जो इन टेस्टों को करती हैं। अगर बात पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और दिल्ली तक की की जाए तो सिर्फ दिल्ली और चंडीगढ़ पीजीआई के बीच ही ऐसी लैब स्थापित है। जहां पर यह टेस्ट किए जाते हैं। यानी कि दिल्ली और चंडीगढ़ के बिना कहीं भी यह टेस्ट नहीं किए जा सकते।

डॉक्टर ने यह भी स्पष्ट किया कि जब अंग किसी शरीर से निकाले जाते हैं तो उनको ऐसा नहीं कि कई दिन तक स्टोर करके रखा जाए, बल्कि 3 घंटे एक अंग को निकालने में लगते हैं ,तो उसके तुरंत बाद ही दूसरे शरीर में अंग को दाखिल करने के लिए भी प्रक्रिया शुरू करनी पड़ती है। जिसके लिए क्वालिफाई सर्जन की जरूरत पड़ती है, तो वहीं एक पूरी टीम इस प्रोसेस को करती है जोकि हर किसी हस्पताल में किसी भी कीमत पर संभव नहीं।

डॉ आशीष ने यह भी स्पष्ट किया कि जिस तरह से लोगों के बीच धारणा बन चुका है तो वह इतना जरूर समझे कि कहने में एक शरीर से अंग निकाल कर दूसरे में डालना। आज इस प्रक्रिया को किया जरूर जा सकता है लेकिन यह पूरा प्रोसेस इतना मुश्किल रहता है, जिसे सोचना भी आसान नहीं तो वहीं जिन लोगों के अंग बदले जाते हैं आप उनसे जान सकते हैं कि कितने दिन और कितनी बड़ी प्रकिया के बीच में से निकलकर आखिर कर दूसरे शरीर में अंगों को डाला जाता है।

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