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Saturday, 29 August 2020

भारतीय सबलोक पार्टी देेश की जनता व गरीब मजदुर के साथ: रणबीर सिंह

By 121 News

Chandigarh August 29, 2020:- भारतीय सबलोक पार्टी के युवा अध्यक्ष रणवीर सिंह ने मौजूदा सरकार से रेलवे का निजीकरण करने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए गभीर मुद्दे की बात की। उन्होंने कहा कि क्या सभी समस्याओं का समाधान निजीकरण है? भारतीय सबलोक पार्टी ने अपनी बात जनता और के हित में रखा और कहा कि रेल मंत्रालय भारत सरकार की मंशा पूरी तरीके से भारतीय रेल को निजी हाथों में सौपने की है। जिससे केवल कर्मचारियों को बल्कि यात्रियों के साथ-साथ पूरे देश को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। इसके लिए भारतीय सबलोक पार्टी के कार्यकर्ता देश के जनता गरीब और मजदुर के साथ हैं हमारे साथ  रेल कर्मचारी विभिन्न यूनियन जरूरत पड़ने पर रेल का चक्का जाम करने को तैयार रहें। यदि जनता के साथ अन्याय होगा तो देश के हित में ठीक नहीं होगा  यदि रेलवे का स्वामित्त्व भारत सरकार के पास रहेगा तो इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि सरकार लाभ की परवाह किये बिना राष्ट्रव्यापी कनेक्टिविटी प्रदान करती है। परंतु रेलवे के निजीकरण से यह संभव नहीं हो पाएगा, क्योंकि निजी उद्यमों का मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना होता है और उन्हें जिस क्षेत्र से लाभ नहीं होता वे वहाँ कार्य बंद कर देते हैं। तो सोचिये देश और जनता का क्या होगा। हम जनता के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। सामाजिक न्याय कैसे  मिलेगा। जनता के साथ बहुत बड़ा धोखा हो रहा है देश को बेचने कि जो कोशिश कि जा रही है उसको रोकने के लिए भारतीय सबलोक पार्टी देश कि जनता के साथ है सोचने की बात है।  गरीब जनता का क्या होगा  ? मजदुर पढ़ा लिखा नहीं है निजी कंपनियां देश को लूट के खा जाएँगी। 

निजी उद्यमों का एकमात्र उद्देश्य लाभ कमाना होता है और रेलवे में लाभ कमाने का सबसे सरल तरीका किराए में वृद्धि है और यदि ऐसा होता है तो इसका सबसे ज़्यादा असर आम नागरिकों और देश की १३० करोड़ जनता पर पड़ेगा। निजी कंपनियाँ अपने व्यवहार में अप्रत्याशित होती हैं और इनमें जवाबदेहिता की कमी पाई जाती है, जिसके कारण रेलवे जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में इनके प्रयोग का प्रश्न विचारणीय हो जाता है।

निष्कर्ष क्या होगा अगर रेलवेज को सरकार बेचना चाहती है जनता के साथ देश में अन्याय हो रहा है भारतीय सबलोक पार्टी जनता के साथ है सरकार का तर्क है कि निजी भागीदारी के तहत बनने वाली सभी ट्रेनें 'मेक इन इंडिया' प्रोजेक्ट के तहत बनेंगी जिससे रोजगार पैदा होगा जो कि एक बहुत छोटा तर्क है क्योंकि ट्रेनें बिना निजी सेक्टर को दिए बिना भी 'मेक इन इंडिया' प्रोजेक्ट के तहत बन सकतीं है। निजीकरण का सबसे भयंकर प्रभाव रेलवे के किरायों को बढ़ोत्तरी का होगा, जिसे गरीब और मध्यम वर्ग बर्दाश्त नहीं कर पायेगा. रेलवे का निजीकरण ठीक वैसा ही परिणाम लायेगा जैसा कि सरकारी और निजी स्कूलों के बीच है सरकारी स्कूलों में पढाई होती नहीं है और निजी स्कूलों की फीस इतना ज्यादा है कि हर कोई नहीं दे सकता है. सबलोक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि रेलवे के निजीकरण से सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इससे बड़ी संख्या में सरकारी नौकरियां ख़त्म होंगीं क्योंकि निजी प्लेयर्स कम लोगों से ज्यादा काम करवाकर लाभ अधिकतम करना पसंद करेंगे.बिहार को मिले पैकेज का जिक्र करते हुए कहा राज् को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो पैकेज दिया था, उससे चारों तरफ विकास दिखाई दे रहा है। उन्होंने कोरोना काल में केंद्र सरकार द्वारा लिए गए एक-एक निर्णय के बारे में विस्तार से बताया जनता के साथ धोखा कर रही है सरकार। आज का युवा परीक्षा देने काम पैसे में कही भी चला जाता था मगर अब यह संभव नहीं होगा , जाने आने वाले समय में और कितनी जाने जाएँगी और कितनी समस्याओं का जन्म होगा कुछ कहा नहीं जा सकता। हम मानते है इस बात से इनक़ार नहीं कर रहे है  कि देश में रेलवे के समक्ष चुनौतियाँ नहीं हैं, परंतु निजीकरण द्वारा एकपक्षीय चुनौतियों का हल नहीं हो सकता, इसलिये यह आवश्यक है कि एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया जाए और सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर आगे बढ़ा जाए।

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