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Saturday, 3 September 2016

‘सेल्फ एस्टीम’पर स्टूडेंट्स के लिए विशेष सेशन आयोजित

By 121 News

Chandigarh 03rd September:- फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली ने सेक्टर 27 स्थित भवन विद्यालय में 10वीं कक्षा के स्टूडेंट्स के लिए 'सेल्फ एस्टीम' (आत्म-सम्मान) पर एक विशेष सेशन का आयोजन किया। जिसमें फोर्टिस हॉस्पिटल की साइकेट्री कंसल्टेंट डॉ.सविता मल्होत्रा ने बच्चों को संबोधित किया। जिसे स्टूडेंट्स ने बाल और किशोर मनोवृति की विश्व प्रसिद्ध विशेषज्ञ डॉ सविता मल्होत्रा के संबोधन को काफी ध्यान से सुना और समझा। उन्होंने  आत्म-सुधार, खुशियों का अनुसरण, व्यक्तिगत तौर पर निखार और निजी सोच-समझ को बेहतर बनाने और कुशलता आदि विषयों पर संबोधित किया। 

पीजीआई की साइकेट्री डिपार्टमेंट पूर्व डीन एवं हैड डॉ. सविता मल्होत्रा ने हाल ही में फोर्टिस मोहाली में कार्यभार संभाला है। उन्हें मरीजों को इलाज, शिक्षण और रिसर्च का 40 वर्ष का अनुभव है और उन्होंने अमेरिका और यूके में चाइल्ड साईकेट्री में प्रशिक्षण प्राप्त किया है। 

स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए डॉ. सविता मल्होत्रा ने कहा कि  'सेल्फ एस्टीम' बेहद जरूरी है यह सीधे तौर पर आत्म-पहचान से जुड़ा है और ये आपके बढऩे की उम्र के दौरान विकसित होता है। आपके आत्म-सम्मान में आपके मां-बाप का अहम योगदान होता है जो कि अपने प्यार, देखभाल और सुरक्षा, भाई बहनों में प्यार, एकेडमिक सफलताओं, हाई इंटेलीजेंस और शारीरिक क्षमताओं के माध्यम से प्राप्त होता है।

उच्च आत्म-सम्मान के महत्व के बारे में बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि इससे सकारात्मक आत्म-छवि, आत्मविश्वास और आसानी से अधिक से अधिक मित्र बनाने की क्षमता प्राप्त होती है। अधिक आत्म-सम्मान वाले लोग अपने आसपास मौजूद नए लोगों के बीच अधिक सहजता महसूस करते हैं और आसपास मौजूद लोगों से मदद लेने में भी आसानी पाते हैं। इसके साथ ही वे अपनी सफलताओं पर गर्व भी करते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि इसके विपरीत आत्म-सम्मान कम होने पर लगातार गलतियां होने और असफलताओं का भय हावी होने की संभावना बनी रहती है। ऐसे में अक्सर अपने बारे में फैसले करने पर असफलताओं की दर अधिक और फैसलों को लेकर अनश्चितता भी बनी रहती है। ऐसे लोग अधिक शर्माते हैं और लोगों के सामने आने से डरते हैं, शांत, असुरक्षित, नाखुश और गुस्सेल होते हैं। परिणामस्वरूप वे हताशा और दबाव का शिकार हो जाते हैं और अपनी छवि को कमजोर पाते हैं, आत्मविश्वास में कमी और आत्महत्या के विचारों को भी लगातार पनपने देते हैं। उन्होंने टीचर्स को सलाह देते हुए कहा कि उन्हें बच्चों की सार्वजनिक आलोचना, बेइज्जत करने और शर्मिंदा करने से बचना चाहिए। डॉ.मल्होत्रा ने कहा कि बच्चों के बारे में अक्सर अपने आकंलन को लेकर बयान देने से उनमें आत्मविश्वास और आत्मसम्मान कम हो सकता है। ऐसे में बच्चों की समस्या पर ध्यान देने की बजाए उनके व्यवहार पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। 

उन्होंने कहा कि सकारात्मक पालन बच्चों में आत्म-सम्मान को लंबी अवधि तक विकसित करने में अहम् भूमिका अदा करता है। उन्होंने बच्चों के मां-बाप को सलाह देते हुए कहा कि उन्हें बच्चों की प्रशंसा करनी चाहिए, उनसे अच्छा संवाद बनाने और विभिन्न विषयों पर अच्छी तरह से बातचीत करनी चाहिए तथा मित्रवत व्यवहार करना चाहिए। 



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