Pages

Saturday, 28 May 2016

गुरू चंडाल योग खत्म होने पर होगी शिक्षकों एंव गुरुओं की समस्याऐं:ज्योतिषी प्रमोद अग्रवाल

By 121 News

Chandigarh 28th May:- इस समय ग्रह की दशा के अनुसार गुरु चंडाल योग चल रहा है। इस योग में शिक्षकों एवं गुरुओं पर भारी समस्याऐं आती है। यां यु भी कह सकते है कि यह योग  शिक्षकों एंव गुरुओं पर भारी होता है। यह कहना है ज्योतिषी प्रमोद अग्रवाल का प्रमोद अग्रवाल ने यह शब्द अपने आफिस में ज्योतिष के बारे में बताते हुए कहे। उन्होनें आगे कहा मंगल शनि युति राजनीति श्रेत्र में उथल पुथल का माहौल पैदा करती है। 

प्रमोद अग्रवाल पिछले पंह्रह सालों से ज्योतिष का अध्ययन कर रहे है। इसके लिए उन्होनें राजुपरा से अपने गुरुओ स्व. संजय चोपड़ा जी राजपुरा वाले और रामेश्वर कुमार जी सरहिंद वालों से शिक्षा प्राप्त की। परंतु पिछले तीन साल से वो समाजसेवा के लिए लोगों को अपनी विद्या से लाभांवित कर रहे है।  अब उन्होनें अपना जीवन ज्योतिष को समर्पित कर दिया है। इसक्रम में उन्होनें एनएसी के एससीओ 842 के प्रथम तल पर एस्ट्रोकेयर नाम से ज्योतिष कार्यालय शुरू किया है। 

प्रमोद अग्रवाल ने आगे बताया कि वो लाल किताब और वैदिक  दोनों ही प्रकार से अपने यजमानों के उपाय करवाते है। इसके चलते हजारों लोग उनकी विद्या से फायदा उठा चुके है। उन्होनें बताया कि ज्योतिष लोगों को कष्ठ से निवारण दिलवाने के लिए उपयोगी साबित होता है। परंतु कर्मो के हिसाब से लोगों फल जरूर मिलता है। 

उन्होनें आगे बताया कि लाल किताब के उपाय पारंपरिक ज्योतिष उपायों से भिन्न है। वैदिक उपाय थोडे खर्चीले दीर्घकालिक और परिश्रम वाले है , जिनमें धनराशि ज्यादा लगती है। वहीं लाल किताब के उपाय आसान कम खर्चीले और कम समय में हो जाते है। जोकि आज के व्यस्त जीवन में संभव है। ज्योतिष के मूल रूप से दो भाग हैं। इनमें से एक है सिद्धांत और दूसरा है फलित। सिद्धांत पक्ष में ज्योतिष का वह भाग है जो खगोलीय गणनाओं से संबंधित है और इन गणनाओं में से ज्योतिष के उपयोग में आने वाली गणनाओं का इस्तेमाल किया गया है। जैसे कि आकाश को 360 डिग्री में बांटकर उसका 12 बराबर भागों में विभाजन, नक्षत्रों की स्थिति, ग्रहों की गति और ग्रहण जैसी घटनाएं। आकशीय घटनाओं की पुख्ता जानकारी मिलने के बाद उनका मानव जीवन पर असर के बारे में अध्ययन ज्योतिष का फलित हिस्सा है।

प्राचीन या वैदिक कही जाने वाली भारतीय फलित ज्योतिष में उपचारों के लिए दान, जप,तप और पूजन का प्रावधान दिया गया था। यह कमोबेश ग्रहों की स्थिति के कारण बन रही खराब स्थितियों के लिए प्रायश्चित की तरह था, लेकिन उपयोगी था और लाल किताब ने उपायों की एक नई श्रंखला की शुरूआत की। जोकि मितव्ययी सुगम और कम समय में होने वाले और आज की व्यस्त जीवन श्रंखला के अनुसार आसान है। जिसके हर कोई आसानी से कर सकता है यहां दोनों विद्याओं लाल किताब और वैद्धिक द्वारा आदिदैहिक,आदिभौत्तिक और अध्यात्मिक मानसिक हर समस्याओं का समाधान होता है। दोनों विद्याऐं अपने आप में संपूर्ण है इसमें कोई भी शक या संदेह नही है। 

 

No comments:

Post a Comment