Thursday, 11 February 2016

Sanatan Dharam Sabha to organize Sri Ram Katha from February 13 to Feb 21

By 121 News

Chandigarh 11th February:- सनातन धर्म सभा सैक्टर 23 की ओर से सेक्टर 24 स्थित शिव मंदिर शिवालय खेमपुरी में 13 फरवरी से 21 फरवरी तक श्रीराम कथा का भव्य आयोजन किया जाएगा। यह कथा मानव मात्र को सनातन धर्म के प्रति जागरूक करने तथा मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम चंद्र जी के बारे में जनमानस को ज्ञान देने के उदेश्य को प्रमुख रखकर परम् पूज्य आचार्य डॉ नन्दीश्वर जी महाराज के सानिध्य में की जा रही है। नौ दिनों तक जारी इस भव्य एवं दिव्य कथा में विशेष रूप से परम् पूज्य स्वामी बलबीर जी उपस्थित रहेंगे। 

यहां आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन में इस संबंध में जानकारी देते हुए शिव मंदिर शिवालय खेमपुरी के पं. राम गोपाल शास्त्री तथा पं. चंद्रभूषण शास्त्री ने बताया कि इस भव्य कथा में हजारों श्रद्धालु उपस्थित होकर श्री रामकथा का श्रवण करेंगे। उन्होंने बताया कि श्री राम कथा से पूर्व 13 फरवरी को दोपहर 1 बजे कलश यात्रा का आयोजन किया जायेगा। बैंड़ बाजों के साथ यह 108 कलश यात्रा इस मंदिर से प्रारम्भ होकर इसी सेक्टर की परिक्रमा करके कथा स्थल शिव मंदिर शिवालय खेमपुरी परिसर में पहुंचेगी। 

उन्होंने आगे बताया कि यह कथा परम् पूज्य आचार्य डॉ नन्दीश्वर जी महाराज के मुखारविंद से दोपहर 3 बजे से सायं 6 बजे तक 20 फरवरी तक आयोजित की जायेगी जबकि कथा के समाप्ति वाले दिन यानि 21 फरवरी को कथा प्रवचन प्रात: 10 से दोपहर 12 बजे तक होगी तदेपरांत विशाल भंडारे का आयोजन किया जायेगा। उन्होंने बताया कि प्रवचन स्थान पर क्षेत्र के दूर दर्राज से पहुंचने के लिए सभी श्रद्धालुओं के लिए बस सेवा का भी प्रंबंध किया है। 

इस अवसर पर कथा व्यास परम् पूज्य आचार्य डॉ नन्दीश्वर जी महाराज ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि कवियों में श्रेष्ठ महामुनि बाल्मीकिजी ने भगवान श्री राम का चरित्र तब लिख दिया था जब श्री रामचंद्र जी का जन्म भी नही हुआ था। बाल्मीकि जी ने रामायण की रचना की जो संस्कृत गूढ भाषा में छन्दोबद्ध में किया परन्तु सामान्य जनमानस इस वांङ्गमय ग्रंथ को पूर्णरूप से नही समझ सकते थे। इसलिए गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना की। जो ग्राम्य गिरा में जैसे अवधि मिथला, ब्रज तथा अन्य भाषाओं का समावेश करके लिखा है। आचार्य जी ने बताया कि गोस्वामी तुलसीदास जी ही महामुनि बाल्मीकि के  अवतार ही थे लेकिन जो भी हो गोस्वामी जी ने भाव से लोक भाषा में श्री रामचरित मानस की रचना की तथा घर घर तथा जन जन तक आज यह परम पुनीत दिव्य प्रभु का चरित पहुंचाया। उन्होंने बताया कि रामचरित की चौपाईयों में भक्ति योग, कर्म योग, सगुण, निर्गुण का सम्यक प्रकार से निरूपण किया गया है। 

आचार्य डॉ नन्दीश्वर जी ने बताया कि श्रीराम कथा जाति-पाति, भेद-भाव से उपर उठकर कर भगवान के प्रति, धर्म के प्रति जागृत, करती है। श्रीराम कथा मनुष्य को चरित्रवान, मर्यादावान बनाती है। उन्होंने कहा कि 'सिया राम मय सब जग जानी, करहुं प्रणाम जोरी जुग पानि' अर्थात् तुलसीदास जी ने समस्त जगत को सिया राम के रूप में देखा है। श्रीराम कथा कलयुग के दुखों को दूर करने वाली, सन्मार्ग पर ले जाने वाली, जाति-पाति के भेद भाव से दूर करने वाली पावन कथा है। 

 

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