By 121 News
Chandigarh April 15, 2021:- फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली ने शिमला के एक 86 वर्षीय मरीज कर्नल राज कुमार हस्कर, जिनको एडवांस्ड आयोर्टिक स्टेनोसिस के साथ हार्ट फेलिअर तथा ब्लोक्ड कोरोनरी एटर्रिस की वजह से अस्पताल में लाया गया था, को नई जिंदगी दी है। फोर्टिस अस्पताल, मोहाली के नॉन-सर्जिकल वाल्व इम्प्लांट क्लिनिक में उनका सफलतापूर्वक इलाज किया गया है।
फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली के सुपर स्पेशियलिटी हार्ट सेंटर में पिछले महीने डॉ.आर.के. जसवाल (डायरेक्टर, कैथ लैब और एचओडी, फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली) के कुशल और अनुभवी मार्गदर्शन में अपने नॉन-सर्जिकल वाल्व इम्प्लांट क्लिनिक का शुभारंभ किया था, जो एडवांस्ड हार्ट वाल्व रोग से प्रभावित रोगियों के लिए बेहद उपयोगी है। पहले इन रोगियों के लिए केवल उपलब्ध विकल्प ओपन हार्ट सर्जरी और सर्जिकल एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (एसएवीआर) था।
चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में डॉ. जसवाल ने बताया कि मरीज का तीन साल पहले दिल्ली में ट्रांसॉर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट का प्रयास किया गया था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अब मरीज क्रिटिकल एओर्टिक वाल्व और आर्टिरी ब्लॉकेज के साथ हमारे पास आया।
उन्होंने कहा कि 3 साल पहले दिल्ली में उनके पिछले अनुभव ने उन्हें काफी निराश किया था। हमने धैर्यपूर्वक इस उपलब्ध बेहतरीन विकल्प का लाभ उठाने के लिए उन्हें राजी किया और उन्हें मैंने हमारी टीएवीआर टीम लीड की दक्षता के बारे में भी अवगत कराया। बीते महीने 26 मार्च को उनकी टीएवीआर की गई। उन्होंने कहा कि उनको उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई है और कुछ दिन पहले वे जयपुर लौट गए हैं और अब काफी बेहतर महसूस कर रहे हैं। डॉ.जसवाल ने बताया कि जिंदगी को लेकर काफी अधिक जोखिम को देखते हुए कई बार सर्जनों द्वारा गंभीर रूप से बीमार वाल्व-रोग के रोगियों में से कई की सर्जरी से इंकार कर दिया जाता है। इसलिए, वे बिना किसी उपचार के विकल्प के साथ ही बाकी जिंदगी जीते हैं।
उन्होंने बताया कि हाल के वर्षों में, आधुनिक देशों में ऐसे रोगियों को नॉन-सर्जिकल वाल्व इम्प्लांटेशन की पेशकश की गई है। फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली ने गंभीर रूप से बीमार रोगियों में से आठ में एओर्टिक वाल्व को सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया है, जिन्हें पिछले 3 वर्षों के दौरान रोगी सुरक्षा के हित में कार्डियक सर्जनों द्वारा सर्जरी से मना कर दिया गया था।
कर्नल हस्कर उपचार से काफी संतुष्ट थे और उन्होंने खुले दिल से डॉ. जसवाल की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि मेरी उम्र 86 साल है लेकिन अब मैं फिट महसूस करता हूं और मुझे एक नई जिंदगी प्रदान करने के लिए डॉ. जसवाल का शुक्रगुजार हूं। उनकी पत्नी ने आगे कहा कि जब वह अस्पताल में आए थे तो वे बड़ी मुश्किल से 5-6 कदम चल सके थे। पर, अब उपचार के बाद, वे काफी सामान्य और अच्छा महसूस कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमने टीएवीआर के बाद 3 साल तक इन रोगियों की सभी गतिविधियों और स्वास्थ्य मापकों पर नजर रखी है और वे टीएवीआर के समय गंभीर रूप से बीमार होने के बावजूद बिना किसी मुश्किल के आज एक अच्छी और स्वस्थ जिंदगी जी रहे हैं।
इन रोगियों में कोई मृत्यु दर भी दर्ज नहीं की गई है। यह भी एक ज्ञात तथ्य है कि अगर कुछ भी नहीं किया गया तो इन रोगियों में मृत्यु दर काफी अधिक थी और जीवन की गुणवत्ता भी बेहद कम थी। डॉ. जसवाल ने कहा कि यह उन रोगियों के लिए एक बढिय़ा विकल्प है जिनके पास एडवांस्ड वाल्वुलर हार्ट रोग है और अगर उनकी सर्जिकल एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (एसएवीवार) की जाती है तो उनकी जिंदगी के लिए जोखिम काफी अधिक है। इसलिए ऐसी स्थिति में टीएवीआर को छोडक़र, मेडिकल प्रोफेशन के पास उनकी समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं है। इस तकनीक के साथ, यहां तक कि इन बेहद बीमार रोगियों को, अब ओपन हार्ट सर्जरी के बिना एक सामान्य अच्छी गुणवत्ता वाले जीवन का आनंद लेने का मौका मिल सकता है।
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